महाकुंभ 2025 की तैयारियों पर सियासत गरमाई | अखिलेश यादव और योगी सरकार आमने-सामने

महाकुंभ 2025 की तैयारियों पर सियासत गरमाई | अखिलेश यादव और योगी सरकार आमने-सामने
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महाकुंभ 2025: सियासत के घेरे में तैयारियां

प्रयागराज में 2025 में होने वाले महाकुंभ की तैयारियों को लेकर राजनीति गरमा गई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर तीन वीडियो शेयर कर महाकुंभ के प्रबंधन और तैयारियों पर सवाल खड़े किए। उनके आरोपों ने सियासी माहौल को गर्म कर दिया है।


अखिलेश यादव के सवाल

अखिलेश यादव ने वीडियो के माध्यम से महाकुंभ की तैयारियों को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा।

  1. पंटून पुलों पर सवाल: अखिलेश ने पूछा कि 22 में से केवल 9 पंटून पुल ही काम कर रहे हैं।
  2. बिजली के खंभे और तार: एक अन्य वीडियो में उन्होंने दिखाया कि बिजली के खंभों से तार गायब हैं।
  3. अधूरी रंगाई-पुताई: तीसरे वीडियो में पुलिस कार्यालय की अधूरी रंगाई-पुताई पर तंज कसा।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार की लापरवाही और कमजोर प्रबंधन को दर्शाता है।


प्रशासन का जवाब

अखिलेश यादव के आरोपों पर प्रशासन ने प्रतिक्रिया दी। एडीएम विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि पंटून पुलों का निर्माण तय समयसीमा के अनुसार हो रहा है और जल्द ही सभी पुल चालू हो जाएंगे। बिजली के खंभों से तार गायब होने के सवाल को उन्होंने “निराधार” करार दिया और जनता को खुद आकर स्थिति देखने की सलाह दी।


साधु-संतों की प्रतिक्रिया

महाकुंभ की तैयारियों को लेकर साधु-संतों ने योगी सरकार की सराहना की। उनका कहना है कि आयोजन भव्य और सुव्यवस्थित बनाने के लिए बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं। संतों ने अखिलेश यादव के आरोपों को “राजनीति से प्रेरित” बताया और कहा कि इनका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है।


गंगा-जमुनी तहज़ीब पर विवाद

महाकुंभ में दुकान लगाने को लेकर मुस्लिम व्यापारियों की अपील भी चर्चा का विषय बनी हुई है। मुस्लिम समुदाय का कहना है कि गंगा-जमुनी तहज़ीब के तहत उन्हें भी व्यापार करने का मौका मिलना चाहिए। हालांकि, साधु-संतों का मानना है कि यह मामला संवेदनशील है और इस पर सोच-समझकर फैसला लेना होगा।


जनता का भरोसा

स्थानीय निवासियों ने महाकुंभ की तैयारियों पर संतोष जताया। उनका कहना है कि आयोजन की भव्यता और सुविधाओं को लेकर सरकार ने शानदार काम किया है। कई निवासियों का मानना है कि अखिलेश यादव के दावे राजनीति का हिस्सा हैं और इनका उद्देश्य केवल सरकार को कटघरे में खड़ा करना है।


सियासत बनाम सच्चाई

अखिलेश यादव के दावों की पड़ताल के बाद यह स्पष्ट हुआ कि महाकुंभ की तैयारियां सही दिशा में चल रही हैं। पंटून पुल, बिजली के खंभे, और अन्य प्रबंधन संबंधी मुद्दों पर प्रशासन ने समयसीमा के भीतर समाधान का भरोसा दिया है।

महाकुंभ 2025 केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सरकार के कामकाज की क्षमता और जनता के विश्वास की परीक्षा भी है। सियासत के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोजन कितना सफल होता है।