दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: भाजपा को उम्मीदवार चयन में ‘प्रॉब्लम ऑफ प्लेंटी’
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते ही राजनीतिक दलों में गहमा-गहमी तेज हो गई है। भाजपा, जो कि दिल्ली में सत्ता हासिल करने के लिए तैयार है, उम्मीदवार चयन को लेकर मुश्किलों का सामना कर रही है। ‘प्रॉब्लम ऑफ प्लेंटी’ यानी विकल्पों की अधिकता के कारण भाजपा कई सीटों पर उम्मीदवार तय नहीं कर पा रही है।
उम्मीदवार चयन में चुनौती:
भाजपा के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि कई सीटों पर एक से अधिक योग्य उम्मीदवार हैं। यह स्थिति पार्टी के लिए जहां एक ओर ताकत दिखा रही है, वहीं दूसरी ओर भ्रम पैदा कर रही है। हर उम्मीदवार अपने अनुभव और लोकप्रियता का हवाला देकर टिकट की मांग कर रहा है।
आंतरिक कलह का खतरा:
उम्मीदवार चयन में देरी और भ्रम से आंतरिक कलह का खतरा बढ़ गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को यह डर सता रहा है कि गलत निर्णय लेने पर पार्टी के भीतर असंतोष फैल सकता है, जिससे चुनावी प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।
दिल्ली में भाजपा का इतिहास:
दिल्ली में भाजपा का प्रदर्शन पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में कमजोर रहा है। 2015 और 2020 के चुनावों में आम आदमी पार्टी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की थी। ऐसे में भाजपा इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती और हर सीट पर सही उम्मीदवार उतारने का प्रयास कर रही है।
महिला और युवा उम्मीदवारों को प्राथमिकता:
सूत्रों के अनुसार, भाजपा इस बार महिला और युवा उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे रही है। पार्टी का मानना है कि यह रणनीति जनता के बीच अच्छा संदेश देगी और अधिक वोट आकर्षित करेगी।
आम आदमी पार्टी से मुकाबला:
भाजपा का मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी से है, जो दिल्ली में मजबूत पकड़ रखती है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली जैसे मुद्दों पर लगातार काम कर रही है, जिससे जनता में उसका समर्थन बढ़ा है।
निष्कर्ष:
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा के सामने कई चुनौतियां हैं। उम्मीदवार चयन को लेकर ‘प्रॉब्लम ऑफ प्लेंटी’ एक बड़ी बाधा साबित हो रही है। हालांकि, पार्टी अपनी रणनीति में बदलाव कर सही उम्मीदवारों का चयन करने का प्रयास कर रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा इस बार दिल्ली की जनता का भरोसा जीत पाएगी।