जिम कॉर्बेट में महिलाओं की प्राइवेसी पर खतरा: कैमरों और ड्रोन के जरिए हो रही जासूसी, खुलासे पर हंगामा
1. चुपके से महिलाओं की जासूसी का खुलासा
उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) में महिलाओं की प्राइवेसी पर बड़ा सवाल उठ गया है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि जंगल में निगरानी के लिए लगाए गए कैमरों, ड्रोन और अन्य उपकरणों का दुरुपयोग करते हुए महिलाओं की प्राइवेट तस्वीरें और वीडियो बनाए जा रहे हैं। उनकी आवाज़ें रिकॉर्ड की जा रही हैं, जिससे उनकी सुरक्षा और गोपनीयता पर गंभीर असर पड़ रहा है।
2. कैसे हुआ खुलासा?
रिसर्चर्स त्रिशांत सिमलाई और क्रिस एस के अध्ययन (Gendered Forests: Digital Surveillance) में यह तथ्य सामने आया। उनकी रिपोर्ट में बताया गया कि कुछ स्थानीय वन्य अधिकारियों और गांव के पुरुषों ने महिलाओं की सहमति के बिना उनकी जासूसी की। महिलाओं की ऐसी तस्वीरें और वीडियो वायरल किए गए जो निजी थीं, और इससे उनकी गरिमा को ठेस पहुंची।
3. सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल, गांववालों का गुस्सा
एक महिला की सेमी न्यूड तस्वीर वायरल होने के बाद गांववालों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने निकटवर्ती वन क्षेत्रों में लगे निगरानी कैमरों को तोड़ दिया और फॉरेस्ट चौकी को जलाने की धमकी दी। यह घटना वन्य विभाग के कर्मियों पर सवाल खड़े करती है।
4. महिलाओं के पारंपरिक तरीकों पर असर
महिलाओं ने कहा कि निगरानी के डर से जंगल में गाना गाने और ऊंची आवाज में बात करने जैसी पारंपरिक प्रथाओं में कमी आई है। यह सिर्फ सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि जंगली जानवरों से बचाव के लिए भी जरूरी है। एक महिला ने कहा, “शोर मचाना या गाना गाना न सिर्फ हमारी परंपरा है, बल्कि यह जंगली जानवरों से बचने का तरीका भी है। अब हमें फॉरेस्ट कर्मियों का डर सताता है।”
5. गांववालों का विरोध और जांच की शुरुआत
गांववालों के विरोध और रिपोर्ट पर बवाल मचने के बाद वन विभाग ने मामले की जांच शुरू की है। हालांकि, यह घटना सवाल उठाती है कि निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे उपकरणों की जिम्मेदारी कैसे सुनिश्चित की जाए और उनकी सीमाएं क्या हों।
6. प्राइवेसी का हनन और सामाजिक प्रभाव
यह मामला केवल महिलाओं की प्राइवेसी का उल्लंघन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी चिंताजनक है। अगर निगरानी उपकरणों का सही उपयोग नहीं किया गया तो यह लोगों के विश्वास और सुरक्षा पर बड़ा खतरा बन सकता है।
निष्कर्ष
जिम कॉर्बेट का यह मामला दिखाता है कि तकनीक का दुरुपयोग न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक स्तर पर भी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। इस घटना से सबक लेते हुए निगरानी तकनीक के उपयोग पर सख्त नियंत्रण और पारदर्शिता लाना बेहद जरूरी है, ताकि प्राइवेसी और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।