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बांग्लादेश में छात्रों ने उठाई संविधान बदलने की मांग | यूनुस सरकार और BNP ने जताया विरोध

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बांग्लादेश में छात्रों की संविधान बदलने की मांग

बांग्लादेश में हाल ही में ‘द एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट्स मूवमेंट’ नामक छात्र संगठन ने संविधान में बदलाव की मांग उठाई है। उनका कहना है कि मौजूदा संविधान असमानता को बढ़ावा देता है और इसमें सुधार की आवश्यकता है।

छात्र आंदोलन की यह मांग न केवल चर्चा का विषय बनी है, बल्कि इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है।


क्या है छात्रों की मांग?

छात्र संगठन का कहना है कि मौजूदा संविधान में कई ऐसी धाराएं हैं, जो सामाजिक और आर्थिक भेदभाव को बढ़ावा देती हैं। उनकी मांग है कि:

  1. अंतरिम सरकार का गठन हो
    वे चुनाव से पहले एक निष्पक्ष और स्वतंत्र अंतरिम सरकार बनाने की मांग कर रहे हैं।
  2. समानता आधारित संविधान
    संविधान में सभी वर्गों और समुदायों को समान अधिकार दिए जाने चाहिए।

यूनुस सरकार और BNP का विरोध

छात्रों की इस मांग का यूनुस सरकार और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने कड़ा विरोध किया है। उनका मानना है कि संविधान में बदलाव की यह मांग अस्थिरता पैदा कर सकती है।

यूनुस सरकार ने इसे बांग्लादेश के लोकतंत्र के खिलाफ बताया है, जबकि BNP ने इसे राजनीतिक चाल करार दिया।


राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

छात्रों के इस आंदोलन ने बांग्लादेश की राजनीति को गर्मा दिया है।

  1. छात्रों का समर्थन
    कई युवाओं और सामाजिक संगठनों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया है।
  2. विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
    विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार को छात्रों की मांगों पर विचार करना चाहिए।

बांग्लादेश की राजनीति में छात्रों की भूमिका

बांग्लादेश में छात्र आंदोलन हमेशा से बड़े राजनीतिक बदलावों का कारण रहे हैं।

  • 1971 का स्वतंत्रता आंदोलन
    छात्र संगठनों ने इसमें प्रमुख भूमिका निभाई थी।
  • न्याय और समानता के लिए आंदोलन
    हाल के वर्षों में छात्रों ने सामाजिक न्याय और शिक्षा में सुधार के लिए कई प्रदर्शन किए हैं।

निष्कर्ष

बांग्लादेश में संविधान बदलने की मांग को लेकर छिड़ा यह आंदोलन न केवल देश की राजनीति बल्कि समाज पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। छात्र संगठन का कहना है कि वे अपनी मांगों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।