शुभमन गिल पर उठे सवाल: विदेशी पिचों पर खराब प्रदर्शन, चैंपियंस ट्रॉफी से पहले चर्चा में

शुभमन गिल पर उठे सवाल: विदेशी पिचों पर खराब प्रदर्शन, चैंपियंस ट्रॉफी से पहले चर्चा में
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शुभमन गिल के प्रदर्शन पर उठे सवाल

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) 2025 में टीम इंडिया की 1-3 से हार के बाद कई खिलाड़ियों की प्रदर्शन क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं। कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली को जहां आलोचना का सामना करना पड़ा, वहीं युवा खिलाड़ी शुभमन गिल भी चर्चा का विषय बने। 1983 वर्ल्ड कप विजेता क्रिस श्रीकांत ने गिल के प्रदर्शन को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है।


श्रीकांत की प्रतिक्रिया: “अत्यधिक ओवररेटेड खिलाड़ी”

क्रिस श्रीकांत ने शुभमन गिल को “अत्यधिक ओवररेटेड क्रिकेटर” करार दिया और चयनकर्ताओं पर गिल को बार-बार मौका देने के लिए सवाल उठाए। श्रीकांत ने कहा कि जब गिल जैसे खिलाड़ियों को इतने मौके मिल रहे हैं, तो सूर्यकुमार यादव जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को भी टेस्ट क्रिकेट में मौका दिया जाना चाहिए।


विदेशी पिचों पर गिल का प्रदर्शन

शुभमन गिल ने 2020/21 में ऑस्ट्रेलिया में डेब्यू करते हुए शानदार शुरुआत की थी। लेकिन इसके बाद से विदेशी पिचों पर उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा। एशिया के बाहर खेले गए 18 टेस्ट पारियों में गिल ने सिर्फ 17.64 का औसत दर्ज किया है।

ऑस्ट्रेलिया दौरे का प्रदर्शन

  • 13 रन
  • 20 रन
  • 1 रन
  • 28 रन
  • 31 रन
    कुल मिलाकर, गिल ने पांच पारियों में सिर्फ 93 रन बनाए।

सूर्यकुमार यादव पर भी चर्चा

श्रीकांत ने इस बात पर जोर दिया कि अगर गिल जैसे खिलाड़ियों को लगातार मौके दिए जा रहे हैं, तो सूर्यकुमार यादव जैसे खिलाड़ियों को भी टेस्ट में मौका मिलना चाहिए। सूर्यकुमार ने टेस्ट क्रिकेट में अच्छी शुरुआत नहीं की, लेकिन उनमें तकनीकी क्षमता और खेल को समझने की प्रतिभा है।


चैंपियंस ट्रॉफी से पहले दबाव

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 से पहले शुभमन गिल के प्रदर्शन पर सवाल खड़े हो गए हैं। भारतीय टीम प्रबंधन और चयनकर्ताओं के लिए यह फैसला करना चुनौतीपूर्ण होगा कि गिल को और मौके दिए जाएं या टीम में नई प्रतिभाओं को शामिल किया जाए।


निष्कर्ष

शुभमन गिल का विदेशी पिचों पर खराब प्रदर्शन उनके करियर के लिए बड़ा झटका हो सकता है। 1983 वर्ल्ड कप विजेता क्रिस श्रीकांत की आलोचना और चैंपियंस ट्रॉफी से पहले का दबाव, दोनों ही गिल के लिए परीक्षा साबित होंगे। भारतीय टीम प्रबंधन को सही निर्णय लेकर युवा खिलाड़ियों के करियर और टीम की सफलता को सुनिश्चित करना होगा।