शेयर बाजार में भारी गिरावट, 9 लाख करोड़ का नुकसान | ट्रंप की नीतियों से निवेशकों में घबराहट

शेयर बाजार में भारी गिरावट, 9 लाख करोड़ का नुकसान | ट्रंप की नीतियों से निवेशकों में घबराहट
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शेयर बाजार में बड़ा कोहराम: 9 लाख करोड़ का नुकसान

सोमवार का दिन शेयर बाजार के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था। बजट से पहले बाजार में ऐसी गिरावट आई जिसने निवेशकों को भारी नुकसान में डाल दिया। सेंसेक्स और निफ्टी की गिरावट से बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप करीब 410 लाख करोड़ रुपये पर आ गया।

सुबह बाजार खुलते ही सेंसेक्स में 800 अंकों की गिरावट दर्ज हुई। यह गिरावट निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन गई। निफ्टी ने भी 250 अंकों से ज्यादा का गोता लगाया।


विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने बिगाड़ी स्थिति

शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति के लिए विदेशी निवेशकों की बिकवाली को मुख्य कारण माना जा रहा है। जनवरी महीने में अब तक एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) ने 64,156 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। तिमाही नतीजों में कमजोर प्रदर्शन ने इस स्थिति को और खराब कर दिया।


ट्रंप की नीतियों का बाजार पर असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई व्यापार नीतियों ने वैश्विक बाजारों में डर का माहौल पैदा कर दिया है। ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जिससे निवेशकों में घबराहट बढ़ गई। कनाडा, मैक्सिको और कोलंबिया पर लगाए गए टैरिफ ने भी व्यापारिक संबंधों को कमजोर किया है।


सेंसेक्स और निफ्टी की हालत खराब

सोमवार को सेंसेक्स ने 75,700.43 अंक पर कारोबार शुरू किया लेकिन कुछ ही घंटों में 842 अंकों की गिरावट के साथ यह 75,434 अंक पर पहुंच गया। निफ्टी की शुरुआत भी खराब रही, और यह अधिकतम 265 अंकों की गिरावट के साथ 22,854 पर आ गया।


इन शेयरों को हुआ नुकसान

जोमैटो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स और एचडीएफसी बैंक जैसी बड़ी कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई। वहीं, कुछ शेयरों जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर, एसबीआई और आईटीसी ने बढ़त दर्ज की।


निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत

मौजूदा हालात को देखते हुए बाजार विशेषज्ञ निवेशकों को सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं। कमजोर कॉर्पोरेट नतीजों, विदेशी पूंजी की निकासी और ट्रंप की नीतियों के चलते बाजार में उथल-पुथल बनी रह सकती है।

निष्कर्ष:
बजट से पहले शेयर बाजार में आई यह गिरावट एक बड़ा संकेत है कि निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को संभलकर तैयार करना होगा। विदेशी और घरेलू नीतियां बाजार को और प्रभावित कर सकती हैं।