संविधान दिवस पर राहुल गांधी के साथ माइक बंद घटना: क्या यह संयोग या साजिश?
संविधान की रक्षा पर राहुल गांधी का भाषण बाधित
नई दिल्ली: संविधान दिवस के 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर कांग्रेस के एक कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के संबोधन के दौरान उनका माइक अचानक बंद हो गया। राहुल गांधी इस मौके पर दलितों के अधिकार और संविधान की रक्षा पर जोर दे रहे थे।
राहुल गांधी का बयान: “माइक बंद होता है, लेकिन आवाज नहीं”
राहुल गांधी ने माइक बंद होने के बावजूद अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “हमारे देश में जब दलितों और वंचितों की बात होती है, तो आवाज दबाने की कोशिश होती है। लेकिन, मैं माइक बंद होने के बाद भी बोलूंगा।” उन्होंने इसे लोकतंत्र की आवाज को दबाने का प्रतीक बताया।
पहले भी लगा है माइक बंद होने का आरोप
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने माइक बंद होने का मुद्दा उठाया है। इससे पहले भी संसद में उन्होंने आरोप लगाया था कि जब वे महत्वपूर्ण विषयों पर बोलते हैं, तो उनकी आवाज रोकने की कोशिश की जाती है।
कांग्रेस ने बताया लोकतंत्र पर हमला
कांग्रेस ने इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने इसे संविधान और लोकतंत्र पर हमला करार दिया। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “यह घटना दिखाती है कि जो लोग संविधान और दलित अधिकारों की बात करते हैं, उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की जाती है।”
क्या माइक बंद होना सिर्फ तकनीकी खामी थी?
माइक बंद होने को लेकर आयोजकों का कहना है कि यह सिर्फ तकनीकी खामी थी। हालांकि, इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में गर्म बहस को जन्म दे दिया है। लोग इसे साजिश और तकनीकी खामी के बीच जोड़कर देख रहे हैं।
जनता के सवाल: क्या सच में हो रही है आवाज़ दबाने की कोशिश?
राहुल गांधी के इस अनुभव ने लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है, और अब देखना यह है कि इस पर सरकार और अन्य राजनीतिक दल क्या रुख अपनाते हैं।