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आतंकवाद के लिए बदनाम, फिर भी UNSC का सदस्य कैसे बना पाकिस्तान?

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आतंकवाद के लिए बदनाम, फिर भी UNSC में जगह

पाकिस्तान, जो दुनिया भर में आतंकवाद का गढ़ माना जाता है, ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अस्थायी सदस्य के रूप में जगह बना ली है। यह खबर न केवल चौंकाने वाली है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवाल भी खड़े कर रही है।

UNSC की सदस्यता प्रक्रिया

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य होते हैं, जिनमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य शामिल होते हैं। अस्थायी सदस्यों का चयन दो वर्षों के कार्यकाल के लिए किया जाता है। इस चयन के लिए सभी सदस्य देशों द्वारा वोटिंग की जाती है, और किसी भी देश को अस्थायी सदस्य बनने के लिए महासभा में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।

पाकिस्तान को सदस्यता कैसे मिली?

1. एशिया-पैसिफिक समूह का समर्थन

पाकिस्तान ने एशिया-पैसिफिक क्षेत्र से अपनी उम्मीदवारी पेश की थी। इस समूह में कई देश पाकिस्तान के साथ राजनीतिक या आर्थिक संबंध रखते हैं, जिन्होंने इसका समर्थन किया।

2. राजनयिक लॉबिंग

संयुक्त राष्ट्र में अस्थायी सदस्यता के लिए लॉबिंग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पाकिस्तान ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए प्रभावशाली देशों के साथ राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयास किए।

3. अस्थायी सदस्यता का गैर-स्थायी प्रकृति

अस्थायी सदस्यता का मतलब यह नहीं है कि देश की नीतियों या रिकॉर्ड पर स्थायी सहमति है। यह केवल एक कार्यकाल आधारित प्रक्रिया है, जिसमें क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाता है।

विरोध और आलोचना

1. आतंकवाद का रिकॉर्ड

पाकिस्तान पर आतंकवाद को प्रायोजित करने के गंभीर आरोप हैं। इसके बावजूद UNSC में इसकी सदस्यता कई देशों और संगठनों को असहज कर रही है।

2. अंतरराष्ट्रीय छवि का उपयोग

कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान इस सदस्यता का इस्तेमाल अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि सुधारने और आतंकवाद के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए कर सकता है।

इसका असर क्या हो सकता है?

पाकिस्तान का UNSC का अस्थायी सदस्य बनना वैश्विक राजनीति में कई बदलाव ला सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान इस मंच का इस्तेमाल अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए कैसे करता है और क्या यह अपनी विवादास्पद नीतियों पर अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करेगा।

निष्कर्ष

पाकिस्तान का UNSC में शामिल होना उन प्रक्रियाओं और कूटनीतिक चालों को उजागर करता है, जो अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सदस्यता प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। हालांकि, यह सदस्यता पाकिस्तान को उसकी नीतियों के लिए जवाबदेह बनाने का एक अवसर भी हो सकता है।