पाकिस्तान ने लॉन्च किया सैटेलाइट, लेकिन सोशल मीडिया पर उड़ रही खिल्ली
हाल ही में पाकिस्तान ने अपनी पहली स्वदेशी ईओ-1 इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सैटेलाइट को चीन के जिउक्वान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस उपलब्धि को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सोशल मीडिया पर अपनी खुशी जाहिर की। लेकिन जैसे ही उन्होंने इस सैटेलाइट की तस्वीर पोस्ट की, सोशल मीडिया पर उनकी और सैटेलाइट की खिल्ली उड़ने लगी।
शहबाज शरीफ का ट्वीट बना मजाक का केंद्र
शहबाज शरीफ ने अपने ट्वीट में लिखा,
“ऊंची उड़ान भरते हुए! देश के लिए गर्व का लम्हा, जब पाकिस्तान ने चीन के जिउक्वान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से अपनी पहली स्वदेशी इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल (EO-1) सैटेलाइट को फख्र के साथ लॉन्च किया।”
इसके साथ उन्होंने SUPARCO (पाकिस्तान स्पेस एंड अपर एटमॉस्फेयर रिसर्च कमीशन) की तारीफ की और वैज्ञानिकों व इंजीनियरों के समर्पण को सराहा।
लेकिन उनका यह उत्साह ज्यादा देर तक कायम नहीं रह सका। उनके पोस्ट पर तुरंत ही यूजर्स ने सैटेलाइट के डिजाइन को लेकर मजाक उड़ाना शुरू कर दिया।
मीम्स की बाढ़
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर यूजर्स ने सैटेलाइट की तुलना पानी की टंकी से करनी शुरू कर दी। किसी ने इसकी तुलना सफेद पानी की टंकी से की, तो किसी ने इसे फर्श साफ करने वाले सॉल्यूशन की बोतल बताया।
एक यूजर ने बाढ़ वाले इलाके का छेड़छाड़ किया हुआ वीडियो पोस्ट किया और शहबाज शरीफ को टैग करते हुए लिखा,
वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा,
“अब किसकी पानी की टंकी चुरा लिए हो बे?”
क्यों उड़ा मजाक?
लोगों ने सैटेलाइट के अनोखे और आम दिखने वाले डिजाइन की वजह से इसका मजाक उड़ाया। एक यूजर ने तो सफेद रंग की पानी की टंकी की तस्वीर पोस्ट करते हुए इसे सैटेलाइट जैसा बताया।
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान किसी वैज्ञानिक उपलब्धि को लेकर ट्रोल हुआ हो। विशेषज्ञों का मानना है कि सैटेलाइट लॉन्च में चीन की मदद लेने और इसके साधारण डिजाइन की वजह से यह ट्रोलिंग का शिकार हुआ।
सैटेलाइट का उद्देश्य
इस सैटेलाइट को लॉन्च करने का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान की अंतरिक्ष तकनीक में प्रगति दिखाना और इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना है। यह सैटेलाइट इमेजिंग और रिमोट सेंसिंग में मदद करेगा, जिसका उपयोग कृषि, शहरी विकास और पर्यावरण निगरानी में होगा।
शहबाज शरीफ ने इसे देश की अंतरिक्ष क्षमताओं का प्रतीक बताया और वैज्ञानिकों के समर्पण की सराहना की।
निष्कर्ष
हालांकि, पाकिस्तान ने अपनी पहली स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च करके एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है, लेकिन सोशल मीडिया पर इसके डिजाइन और चीन की मदद लेने को लेकर जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है।
यह घटना यह दिखाती है कि जब तक तकनीकी और वैज्ञानिक प्रयासों में स्वतंत्रता और विशिष्टता न हो, तब तक इन्हें सार्वजनिक सम्मान और समर्थन मिलना मुश्किल हो सकता है। पाकिस्तान को इस अनुभव से सीखते हुए अपनी वैज्ञानिक क्षमताओं को और मजबूत करना होगा।