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लोकसभा में आज पेश होगा ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक, बीजेपी का समर्थन, विपक्ष ने जताया विरोध

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लोकसभा में ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक आज पेश, देशभर की निगाहें इस बड़े बिल पर

आज संसद के शीतकालीन सत्र में ‘एक देश, एक चुनाव’ का संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया जाएगा। यह विधेयक देशभर में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के लिए संविधान में संशोधन की मांग करता है। इस मुद्दे पर जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इसका समर्थन कर रही है, वहीं विपक्ष ने इसे लोकतंत्र विरोधी करार देते हुए विरोध करने का ऐलान किया है।

क्या है ‘एक देश, एक चुनाव’ का मकसद?

‘एक देश, एक चुनाव’ का उद्देश्य पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की प्रक्रिया को लागू करना है। इससे बार-बार होने वाले चुनावों पर खर्च कम किया जा सकेगा और प्रशासनिक कामकाज में भी सुधार होगा। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह बिल देशहित का मुद्दा है और इससे देश की अर्थव्यवस्था और विकास को गति मिलेगी।

बीजेपी का रुख

बीजेपी ने ‘एक देश, एक चुनाव’ को एक बड़ा राष्ट्रीय सुधार बताते हुए इसका समर्थन किया है। पार्टी का मानना है कि इससे देश में स्थिरता आएगी और बार-बार चुनाव कराने की वजह से जो आर्थिक और प्रशासनिक बोझ पड़ता है, वह कम होगा।
बीजेपी के नेताओं का कहना है कि:

“यह बिल देश की जनता के समय और पैसे की बचत करेगा। इससे सरकारें विकास कार्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाएंगी।”

विपक्ष ने किया विरोध का ऐलान

वहीं, विपक्षी दलों ने इस विधेयक का जोरदार विरोध करने की तैयारी कर ली है। विपक्ष का तर्क है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था संघीय ढांचे के खिलाफ है और इससे राज्यों की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, और अन्य विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकतंत्र विरोधी बताते हुए इसे लागू न करने की मांग की है। विपक्ष का मानना है कि:

“यह विधेयक राज्यों की स्वतंत्रता और जनता के अधिकारों को कमजोर करता है।”

क्या कहता है संविधान?

संविधान के वर्तमान प्रावधानों के अनुसार, लोकसभा और विधानसभा चुनावों को अलग-अलग समय पर कराने का प्रावधान है। ‘एक देश, एक चुनाव’ लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 83, 172, 324 और 356 में संशोधन करना होगा।

विधेयक पास होने की प्रक्रिया

यह विधेयक पेश किए जाने के बाद संसदीय प्रक्रिया के तहत पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में चर्चा के लिए रखा जाएगा। दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद इसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा।

विशेषज्ञों की राय

इस बिल पर देश के कई विशेषज्ञों ने अलग-अलग राय रखी है। कुछ का मानना है कि इससे चुनाव खर्च में कमी आएगी और विकास कार्यों में तेजी आएगी। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इससे राज्यों की राजनीतिक स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है।

जनता की प्रतिक्रिया

देशभर में ‘एक देश, एक चुनाव’ के मुद्दे पर जनता की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। जहां कुछ लोग इसे सकारात्मक सुधार मान रहे हैं, वहीं कुछ इसे संवैधानिक संकट के रूप में देख रहे हैं।


निष्कर्ष

‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक पर आज लोकसभा में बहस के दौरान बड़ा राजनीतिक घमासान देखने को मिल सकता है। यह विधेयक देश की चुनावी प्रक्रिया में बदलाव ला सकता है। हालांकि, इसके लागू होने से पहले इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।