नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की चीन यात्रा: परंपरा में बदलाव और संभावित प्रभाव
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली 2 से 5 दिसंबर 2024 तक चीन की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे। पारंपरिक रूप से, नेपाली प्रधानमंत्री अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत का चयन करते रहे हैं, लेकिन इस बार ओली ने चीन को प्राथमिकता दी है।
परंपरा से हटकर चीन की ओर रुख
नेपाल के प्रधानमंत्रियों की यह परंपरा रही है कि वे पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत का दौरा करते हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री ओली ने इस परंपरा से हटकर अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा के लिए चीन को चुना है। उनकी यह यात्रा नेपाल-चीन संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
यात्रा के प्रमुख उद्देश्य
प्रधानमंत्री ओली की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य चीन के साथ आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को सुदृढ़ करना है। इस दौरान वे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत विभिन्न परियोजनाओं पर चर्चा करेंगे। नेपाल सरकार बीआरआई के तहत कई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रही है, जिसमें पिछली उच्च-स्तरीय यात्राओं के दौरान सहमत परियोजनाओं का कार्यान्वयन भी शामिल है।
आलोचना और सफाई
प्रधानमंत्री ओली के इस निर्णय की नेपाल के भीतर आलोचना भी हो रही है। पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने ओली पर विदेश नीति में संतुलन बनाने में विफल रहने का आरोप लगाया है। इसके जवाब में ओली ने कहा है कि उनकी चीन यात्रा से भारत के साथ संबंधों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि नेपाल एक संप्रभु राष्ट्र है और अपनी सुविधा के अनुसार विदेश यात्राओं का चयन करता है।
भारत-नेपाल संबंधों पर प्रभाव
प्रधानमंत्री ओली की इस यात्रा से भारत-नेपाल संबंधों पर संभावित प्रभाव को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल की यह पहल क्षेत्रीय कूटनीति में नए समीकरण पैदा कर सकती है। हालांकि, ओली ने जोर देकर कहा है कि उनकी चीन यात्रा से भारत के साथ नेपाल के गहरे और ऐतिहासिक संबंध प्रभावित नहीं होंगे।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की चीन यात्रा नेपाल की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस यात्रा के परिणामस्वरूप नेपाल-चीन और नेपाल-भारत संबंधों में क्या परिवर्तन आते हैं।