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कनाडा में खालिस्तानी हमला: हिंदू मंदिरों पर अब तक कितने हमले, क्या ट्रूडो की चुप्पी बनी कारण?

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कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा हिंदू मंदिरों और समुदाय को निशाना बनाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हाल ही में कनाडा के विभिन्न हिस्सों में हिंदू मंदिरों पर हुए हमलों ने भारतीय समुदाय में चिंता बढ़ा दी है। इन घटनाओं पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। भारतीय समुदाय इसे खालिस्तानी गतिविधियों को रोकने में कनाडा की विफलता के रूप में देख रहा है, और इससे भारत-कनाडा के रिश्तों में भी तनाव आ रहा है।

कितने हमले हो चुके हैं?

पिछले एक साल में कनाडा में खालिस्तानी तत्वों द्वारा हिंदू मंदिरों पर कई बार हमले हुए हैं।

  1. ब्रैम्पटन में श्रीभगवती मंदिर – खालिस्तानी समर्थकों द्वारा दीवारों पर भारत विरोधी नारे और खालिस्तान समर्थक ग्राफिटी की गई थी।
  2. टोरोन्टो का श्रीराम मंदिर – इस मंदिर पर भी तोड़फोड़ की घटना हुई, जिससे भारतीय समुदाय में भारी असुरक्षा की भावना उत्पन्न हुई।
  3. वैंकूवर के मंदिर पर हमला – हाल ही में एक अन्य मंदिर पर हमला हुआ, जिसमें भारतीय समुदाय ने इसे एक स्पष्ट सांप्रदायिक हमला बताया।

इन हमलों के माध्यम से खालिस्तानी समर्थक न केवल भारतीय प्रतीकों और संस्कृति पर आक्रमण कर रहे हैं, बल्कि एक प्रकार से कनाडा में भय का माहौल भी बना रहे हैं।

क्या ट्रूडो की चुप्पी बनी कारण?

जस्टिन ट्रूडो की सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि वह खालिस्तानी तत्वों पर उचित कार्रवाई नहीं कर रही है। ट्रूडो ने खालिस्तानी गतिविधियों की खुलकर निंदा नहीं की है, जिससे कनाडा में भारतीय समुदाय और हिंदू मंदिरों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि ट्रूडो की चुप्पी से खालिस्तानी समर्थकों को हौसला मिला है और वे बेखौफ होकर ऐसी गतिविधियाँ कर रहे हैं।

भारत-कनाडा के रिश्तों पर असर

इन घटनाओं के चलते भारत और कनाडा के रिश्तों में खटास आ गई है। भारत ने कनाडा से इन हमलों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है और स्पष्ट किया है कि भारतीय समुदाय की सुरक्षा को लेकर वह गंभीर है। इसके अलावा, भारत ने कनाडा से यह भी अनुरोध किया है कि वह खालिस्तानी संगठनों पर कड़ी निगरानी रखे और ऐसी घटनाओं को रोके।

कनाडा में भारतीय समुदाय का योगदान बहुत बड़ा है, लेकिन इन हमलों और ट्रूडो सरकार की चुप्पी ने उन्हें असुरक्षित महसूस करवाया है। अगर इन घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह न केवल कनाडा में भारतीय समुदाय के लिए चिंता का कारण बनेगी, बल्कि दोनों देशों के रिश्तों पर भी दीर्घकालिक असर डाल सकती है।