इजरायल में मस्जिदों में लाउडस्पीकर का उपयोग प्रतिबंधित, नेतन्याहू सरकार पर कड़ी आलोचना
इजरायल के रक्षा मंत्री इतामेर बेन ग्विर ने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वे मस्जिदों में लाउडस्पीकर के माध्यम से अज़ान और प्रार्थनाओं की आवाज़ को नियंत्रित करें। यह फैसला इजरायल सरकार के उस प्रयास का हिस्सा है, जिसमें वह सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक गतिविधियों को नियंत्रित करना चाहती है। बेन ग्विर का कहना है कि यह कदम सार्वजनिक शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
फिलिस्तीनी समुदाय और विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना
इस निर्णय के बाद फिलिस्तीनी समुदाय और इजरायल के विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। फिलिस्तीनी नेताओं का आरोप है कि यह कदम धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है और मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव को बढ़ावा देता है। वे इसे इजरायल सरकार द्वारा मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों पर हमला मानते हैं।
मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर ऐतिहासिक परंपरा
इजरायल में मस्जिदों में लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रार्थनाओं की आवाज़ सुनाई देती है, जो धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। यह आदेश ऐसे समय पर आया है जब इजरायल और फिलिस्तीनी क्षेत्र में तनाव और संघर्ष बढ़ रहा है। फिलिस्तीनी समुदाय का कहना है कि यह प्रतिबंध उनकी धार्मिक पहचान को खतरे में डालता है और उन्हें अपनी धार्मिक गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से करने का अधिकार मिलना चाहिए।
राजनीतिक बयानबाजी और आंतरिक तनाव
इजरायल सरकार के इस फैसले को लेकर राजनीति में तेज़ी से बयानबाजी हो रही है। विपक्षी दलों ने इसे इजरायल की लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ एक बड़ा कदम बताया है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम क्षेत्रीय राजनीति और आंतरिक तनाव को और बढ़ा सकता है, जो दोनों समुदायों के बीच संघर्ष को और बढ़ा सकता है।