महाकुंभ 2025: हठयोगियों का चमत्कार, 61 घड़े पानी से स्नान और अनोखी तपस्या
महाकुंभ 2025 में हठयोगियों का अद्भुत संसार
प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ 2025 में हठयोगियों की अद्भुत और रोमांचक तपस्याएं देखने को मिल रही हैं। इन साधुओं के अलग-अलग रूप न केवल श्रद्धालुओं को हैरान कर रहे हैं, बल्कि उनके तप और साधना के रहस्यों को भी उजागर कर रहे हैं।
61 घड़े ठंडे पानी से स्नान: संत प्रमोद गिरी
प्रयागराज की कड़ाके की ठंड में संत प्रमोद गिरी का हठयोग चर्चा का विषय बन गया है। वे हर सुबह 4 बजे 61 घड़े ठंडे पानी से स्नान करते हैं। शुरुआत में उन्होंने 51 घड़ों से स्नान शुरू किया था, लेकिन उनका प्रण है कि महाकुंभ के अंत तक यह संख्या 108 घड़ों तक पहुंच जाएगी। उनकी साधना को देखकर श्रद्धालु आश्चर्यचकित हैं।
45 किलो की रुद्राक्ष माला: संत गीतानंद गिरी
महाकुंभ में संत गीतानंद गिरी भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। उन्होंने 45 किलो वजनी रुद्राक्ष की माला धारण कर तपस्या शुरू की है। यह तपस्या उनके अद्वितीय धैर्य और शक्ति का परिचायक है।
जमीन में गड़े संत: केवलदास मेघवंशी
हठयोगियों में संत केवलदास मेघवंशी का नाम भी खास है। वे खुद को जमीन में गाड़कर तपस्या करते हैं और इस दौरान माला जपते रहते हैं। उनकी साधना श्रद्धालुओं के लिए अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती है।
9 साल से हाथ उठाए: महाकाल गिरी
संत महाकाल गिरी ने पिछले 9 वर्षों से एक हाथ को त्याग रखा है। वे इस तपस्या के जरिए अपनी आत्मा को उच्च स्तर पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।
हठयोग का रहस्य
हठयोग साधुओं को अद्भुत शारीरिक और मानसिक शक्ति प्रदान करता है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज के अनुसार, हठयोग का मुख्य उद्देश्य आत्मिक विकास और शरीर की शुद्धि करना है। हठयोग का नाम सूर्य (ह) और चंद्रमा (ठ) के संतुलन से जुड़ा है।
हठयोग में महारथ कैसे प्राप्त होती है?
हठयोग में महारथ हासिल करना आसान नहीं है। इसके लिए साधु को कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है। आसन, प्राणायाम, ध्यान और समाधि पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने के बाद ही कोई साधु सिद्धि प्राप्त करता है।
महाकुंभ 2025 में हठयोग की महत्ता
महाकुंभ 2025 में हठयोगियों की तपस्या श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही है। इन साधुओं का अद्वितीय धैर्य और संयम, हठयोग के महत्व को रेखांकित करता है।
निष्कर्ष:
महाकुंभ 2025 में हठयोगियों के अनोखे रूप और तपस्या से श्रद्धालु रोमांचित हो रहे हैं। संतों की साधना उनकी आत्मिक शक्ति और हठयोग के महत्व को दर्शाती है। यह महाकुंभ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आध्यात्मिक विकास के लिए भी प्रेरणादायक साबित हो रहा है।