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दिल्ली प्रदूषण: पराली जलाने का योगदान केवल 5%, फिर क्यों नहीं साफ हो रही हवा?

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दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक बना हुआ है। पराली जलाने का योगदान इस बार केवल 5% है, लेकिन फिर भी हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है। यह सवाल उठाता है कि दिल्ली की हवा इतनी जहरीली क्यों बनी हुई है।

पराली जलाने का योगदान

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (IITM) के अनुसार, इस साल पराली जलाने की घटनाएं काफी कम हुई हैं। इससे दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने का हिस्सा केवल 5% तक सीमित है। पिछले वर्षों की तुलना में यह एक बड़ी गिरावट है, लेकिन हवा की गुणवत्ता पर इसका सकारात्मक असर दिखाई नहीं दे रहा।

दिल्ली के प्रदूषण के अन्य कारण

  1. वाहन उत्सर्जन: दिल्ली की सड़कों पर भारी मात्रा में वाहन चलते हैं, जो प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत बने हुए हैं। डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण को बढ़ा रहा है।
  2. निर्माण कार्य: निर्माण स्थलों से उठने वाली धूल और पार्टिकुलेट मैटर हवा में घुलकर प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं।
  3. उद्योगों से उत्सर्जन: दिल्ली और एनसीआर में मौजूद औद्योगिक गतिविधियां भी बड़े पैमाने पर प्रदूषण का कारण हैं।
  4. घरेलू कारण: ठंड के मौसम में लकड़ी और कचरा जलाने जैसे घरेलू स्रोत भी वायु प्रदूषण में योगदान देते हैं।
  5. मौसमी स्थितियां: दिल्ली की भौगोलिक स्थिति और सर्दियों के दौरान चलने वाली धीमी हवाएं प्रदूषण को फैलने नहीं देतीं। इसके कारण हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व नीचे सतह पर जमा हो जाते हैं।

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की स्थिति

दिल्ली का औसत AQI 350 से ऊपर बना हुआ है, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। यह स्थिति विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए खतरनाक है।

समाधान के लिए आवश्यक कदम

  1. वाहनों पर नियंत्रण: सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देकर और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देकर वाहन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
  2. निर्माण स्थलों की निगरानी: धूल नियंत्रण उपायों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
  3. स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग: औद्योगिक गतिविधियों में स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  4. हरित कवर बढ़ाना: दिल्ली में पेड़ों और हरित क्षेत्रों को बढ़ाने से हवा को शुद्ध करने में मदद मिलेगी।
  5. जनजागरूकता: प्रदूषण से बचाव के उपायों और इसके खतरों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

पराली जलाने में कमी के बावजूद, दिल्ली की हवा जहरीली बनी हुई है। इसके पीछे कई स्थानीय और मौसमी कारण हैं। सरकार, उद्योग, और जनता को मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सके। पर्यावरण को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, वरना आने वाले समय में स्थिति और खराब हो सकती है।