गाजा की तरह लेबनान को भी बना देंगे ‘कब्रिस्तान’! इजरायली पीएम नेतन्याहू ने दी बड़ी वॉर्निंग

Spread the love

इजरायल और हिज़्बुल्ला के बीच बढ़ते तनाव के बीच, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में एक गंभीर चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा है कि यदि हिज़्बुल्ला ने इजरायल पर हमले जारी रखे, तो लेबनान को भी गाजा की तरह ‘कब्रिस्तान’ में बदल दिया जाएगा। यह बयान नेतन्याहू के उस प्रयास का हिस्सा है जिसमें वह अपनी सरकार की सुरक्षा नीतियों को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं।

नेतन्याहू की चेतावनी का संदर्भ

नेतन्याहू ने यह चेतावनी उस समय दी जब हिज़्बुल्ला ने इजरायल की सीमाओं के पास सैन्य गतिविधियाँ बढ़ा दी हैं। इजरायली बलों ने हाल के दिनों में हिज़्बुल्ला के ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं, और नेतन्याहू का मानना है कि यदि यह गतिविधियाँ जारी रहीं, तो परिणाम गंभीर होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया, “हम गाजा में जो कर रहे हैं, वही हम लेबनान में भी करेंगे। हिज़्बुल्ला ने हमारी सुरक्षा को खतरे में डालने वाली कई गतिविधियाँ की हैं।”

संघर्ष की पृष्ठभूमि

गाजा पट्टी में हाल के संघर्ष के दौरान, इजरायल ने हिज़्बुल्ला के साथ अपनी सीमाओं पर अतिरिक्त सैनिक तैनात किए हैं। हिज़्बुल्ला, जो लेबनान में एक प्रमुख शिया राजनीतिक और सैन्य संगठन है, ने इजरायल के खिलाफ कई बार हमले किए हैं। दोनों पक्षों के बीच चल रही खींचतान ने स्थिति को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

नेतन्याहू की इस चेतावनी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ा दी है। कई देशों ने इस संघर्ष को लेकर चिंता व्यक्त की है और वार्ता के माध्यम से समाधान निकालने का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने भी दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।

संभावित परिणाम

यदि स्थिति और बिगड़ती है, तो इसका प्रभाव न केवल इजरायल और लेबनान पर पड़ेगा, बल्कि पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में भी अस्थिरता ला सकता है। स्थानीय नागरिकों के लिए यह स्थिति और अधिक भयावह हो सकती है, जैसा कि गाजा में देखा गया था।इजरायल और हिज़्बुल्ला के बीच बढ़ते तनाव के बीच, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में एक गंभीर चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा है कि यदि हिज़्बुल्ला ने इजरायल पर हमले जारी रखे, तो लेबनान को भी गाजा की तरह ‘कब्रिस्तान’ में बदल दिया जाएगा। यह बयान नेतन्याहू के उस प्रयास का हिस्सा है जिसमें वह अपनी सरकार की सुरक्षा नीतियों को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं।