क्या डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण के बाद खत्म होगी रूस-यूक्रेन जंग? जानिए सच्चाई

क्या डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण के बाद खत्म होगी रूस-यूक्रेन जंग? जानिए सच्चाई
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डोनाल्ड ट्रंप का दावा: शपथग्रहण के बाद खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और दोबारा राष्ट्रपति बनने की कोशिश में जुटे डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़ा वादा किया है। उनका दावा है कि शपथग्रहण के बाद वह युद्ध को महज 24 घंटे में खत्म कर देंगे। हालांकि, उनकी इस बात पर विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं और इसे “दूर की कौड़ी” बता रहे हैं।


तीन साल से जारी है रूस-यूक्रेन संघर्ष

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही यह जंग तीन साल से अधिक समय से जारी है। इस दौरान रूस ने यूक्रेन के पूर्व और दक्षिणी इलाकों में कब्जा करने की कोशिश की है।
रूस ने शुरुआत में ही चार क्षेत्रों को अपने साथ मिलाने का दावा किया था, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि वह अब तक पूरी तरह से इन पर कब्जा नहीं कर पाया है।
रूस लगातार मिसाइल और ड्रोन हमलों के जरिए यूक्रेन के बुनियादी ढांचे को निशाना बना रहा है।


यूक्रेन भी कर रहा है पलटवार

दूसरी ओर, यूक्रेन भी रूस के कुर्स्क क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
यूक्रेनी सेना ने रूसी तेल केंद्रों और अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों पर हमले किए हैं।
दोनों देशों ने अपने-अपने रुख को इतना सख्त कर लिया है कि शांति वार्ता की संभावना काफी कम नजर आ रही है।


ट्रंप के शांति वार्ता का समय बदलना

डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में दावा किया था कि वह 24 घंटे के भीतर रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कर सकते हैं। हालांकि, हाल ही में उन्होंने इस समय सीमा को बदलते हुए कहा कि शांति वार्ता को छह महीने लग सकते हैं।
उनके दूत कीथ केल्लोग ने उम्मीद जताई कि शांति समझौता 100 दिनों में हो सकता है।


क्या पुतिन तैयार हैं वार्ता के लिए?

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वह शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन उनकी एक शर्त है।
पुतिन ने कहा कि किसी भी शांति समझौते में “जमीनी वास्तविकताओं” का सम्मान किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि रूस ने जो जमीन पर बढ़त बनाई है, उसे स्वीकार किया जाए।
यह शर्त यूक्रेन और उसके समर्थकों के लिए मुश्किल हो सकती है।


क्या ट्रंप का वादा पूरा हो पाएगा?

ट्रंप का दावा, कि वह रूस और यूक्रेन को बातचीत की मेज पर लाकर युद्ध खत्म कर देंगे, विशेषज्ञों को अव्यवहारिक लगता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि युद्ध को समाप्त करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों के साथ-साथ दोनों पक्षों को कई बड़ी रियायतें देनी होंगी।
इसके अलावा, यूक्रेन और उसके सहयोगी किसी भी शांति समझौते में रूस को जमीन देने के लिए तैयार नहीं होंगे।


निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप का शपथग्रहण के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने का वादा बड़ा है, लेकिन इसे पूरा करना इतना आसान नहीं होगा।
रूस और यूक्रेन के बीच गहरी खाई, उनके मजबूत रुख और वैश्विक राजनीति की जटिलताएं इसे संभव नहीं होने देतीं।
क्या ट्रंप अपने दावों को हकीकत में बदल पाएंगे या यह चुनावी राजनीति का हिस्सा बनकर रह जाएगा? इसका जवाब समय ही देगा।