जिसने बॉस को ही लगाया ठिकाने, उस असीम मलिक को PAK सेना की ‘दुम’ का बना दिया गया चीफ, अब करेगा यह काम!

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पाकिस्तान की सेना ने असीम मलिक को एक महत्वपूर्ण नियुक्ति दी है, जो कि सेना की उच्चस्तरीय कमान में एक प्रमुख भूमिका निभाएंगे। असीम मलिक, जिन्होंने अपने पूर्व बॉस को ठिकाने लगाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी, अब पाकिस्तान की सेना की ‘दुम’ (लॉजिस्टिक्स और सपोर्ट) का प्रमुख बना दिया गया है। यह नियुक्ति सैन्य संचालन और रणनीतिक योजनाओं में महत्वपूर्ण बदलावों को संकेत करती है।

असीम मलिक की नई भूमिका

  1. सैन्य की ‘दुम’ का प्रमुख:
    • असीम मलिक को पाकिस्तान सेना की लॉजिस्टिक्स और सपोर्ट विभाग का प्रमुख नियुक्त किया गया है, जिसे सेना की ‘दुम’ भी कहा जाता है। इस भूमिका में, वह सेना के रसद, आपूर्ति और अन्य सहायक गतिविधियों की निगरानी करेंगे।
    • उनका यह नया पद सेना की संचालन क्षमता को बेहतर बनाने और सैन्य संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण होगा।
  2. पूर्व बॉस की ठिकाने लगाने की भूमिका:
    • असीम मलिक को अपनी सैन्य करियर में एक विवादास्पद घटना के लिए जाना जाता है, जिसमें उन्होंने अपने पूर्व बॉस को ठिकाने लगाने में भूमिका निभाई थी। इस घटना ने उनकी स्थिति और सेना में प्रभाव को एक नई दिशा दी।
    • अब, उनकी नई भूमिका में वह सेना के लॉजिस्टिक्स और सपोर्ट विभाग को संभालने की जिम्मेदारी निभाएंगे, जो सेना की संपूर्ण प्रभावशीलता में एक महत्वपूर्ण तत्व है।

नई नियुक्ति के प्रभाव

  1. सैन्य संचालन में सुधार:
    • असीम मलिक की नई भूमिका से पाकिस्तान की सेना के लॉजिस्टिक्स और सपोर्ट विभाग में सुधार की उम्मीद है। उनकी विशेषज्ञता और अनुभव से सैन्य आपूर्ति और रसद में बेहतर प्रबंधन और संचालन संभव होगा।
  2. सैन्य रणनीति और प्रभाव:
    • असीम मलिक की नियुक्ति सैन्य रणनीति और कार्यक्षमता पर भी प्रभाव डाल सकती है। उनकी नई भूमिका से सेना की कार्यप्रणाली और रणनीतिक योजनाओं में बदलाव आ सकता है।

आगे की दिशा

  1. लॉजिस्टिक्स और सपोर्ट में बदलाव:
    • असीम मलिक के आने से लॉजिस्टिक्स और सपोर्ट विभाग में बदलाव और उन्नति की उम्मीद है। उनकी नई भूमिका में विभिन्न सैन्य संसाधनों और आपूर्ति चैनलों की निगरानी करना शामिल होगा।
  2. सैन्य और राष्ट्रीय सुरक्षा:
    • उनकी नई जिम्मेदारी पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में मदद करेगी। इससे सेना की संपूर्ण प्रभावशीलता और संचालन क्षमता में सुधार होने की संभावना है.