सर्वार्थसिद्धि योग मनेगी देवउठनी एकादशी, श्रीविष्णु योग निद्रा से जागेंगे

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देवउठनी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार एक विशेष तिथि होती है, जो हर साल कार्तिक मास की शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है। इस बार देवउठनी एकादशी 14 नवम्बर 2024 को पड़ेगी। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है, क्योंकि इसे भगवान श्रीविष्णु के योग निद्रा से जागने का दिन माना जाता है। इस दिन को सर्वार्थसिद्धि योग के साथ मनाने का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस दिन कई धार्मिक और ज्योतिषीय गुण होते हैं, जो जीवन के सभी पहलुओं में सफलता, समृद्धि और शांति की कामना करने के लिए आदर्श माने जाते हैं।

1. देवउठनी एकादशी का महत्व

देवउठनी एकादशी को वसुबरस, बलिपद्यामी और दीपावली के बाद का एक प्रमुख पर्व भी माना जाता है। यह एकादशी भगवान श्रीविष्णु के योग निद्रा से जागने का दिन है, जो चार माह के शयन काल के बाद फिर से अपनी सक्रियता की ओर लौटते हैं। इस दिन को धर्म, तप, उपासना, और व्रत करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन से शादी-विवाह और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत होती है, जो इस तिथि तक रुके रहते हैं।

2. सर्वार्थसिद्धि योग

इस बार देवउठनी एकादशी पर सर्वार्थसिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। यह एक बेहद शुभ योग है, जिसमें किसी भी काम को शुरू करने पर सफलता मिलने की पूरी संभावना रहती है। ज्योतिष शास्त्र में इसे सबसे लाभकारी और फलदायी योग माना जाता है। इस दिन किए गए किसी भी धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ या किसी भी कार्य में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है। विशेष रूप से व्यापार, नौकरी, विवाह, या शिक्षा के क्षेत्र में इस दिन किए गए प्रयासों में सफलता मिलती है।

3. श्रीविष्णु की पूजा और व्रत

देवउठनी एकादशी पर भगवान श्रीविष्णु की विशेष पूजा होती है। इस दिन व्रति दिनभर उपवासी रहते हैं और रात्रि में विष्णु भगवान की आराधना करते हैं। इसके अलावा, इस दिन सत्संग और हरी कथा सुनने का भी महत्व है। भक्तों को इस दिन विशेष रूप से विष्णु सहस्रनाम का पाठ और भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करने की सलाह दी जाती है।

4. व्रत का विधि-विधान

  • इस दिन का व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक किया जाता है।
  • व्रति को उपवास रहते हुए केवल फलाहार का सेवन करने का विधान है।
  • रात्रि को भगवान श्रीविष्णु की पूजा अर्चना कर दीप जलाए जाते हैं।
  • इस दिन गाय, कुत्ते और ब्राह्मणों को ताजे खाने का भोग और वस्त्र दान करने का विशेष महत्व होता है।

5. आध्यात्मिक और भौतिक लाभ

देवउठनी एकादशी पर सर्वार्थसिद्धि योग के कारण इस दिन विशेष रूप से किए गए कार्यों में सफलता की संभावना अधिक रहती है। इसके साथ ही, यह दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। भक्ति, तप, और सच्चे मन से भगवान की उपासना करने से भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि आती है। इस दिन से जीवन के सभी कष्टों और विघ्नों का निवारण होता है, और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति की दिशा में भी एक कदम आगे बढ़ने का अवसर मिलता है।

6. विवाह, यज्ञ और शुभ कार्यों के लिए आदर्श दिन

देवउठनी एकादशी से विवाहों, यात्राओं, और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत होती है, जो कृष्ण पक्ष की एकादशी तक नहीं हो पाती। इसे विशेष रूप से शुभ कार्यों के लिए आदर्श दिन माना जाता है। इस दिन से जीवन के नए अध्याय की शुरुआत करने के लिए इसे अत्यंत उत्तम समय माना जाता है।