महाराष्ट्र चुनाव: इस बार 4% ज्यादा वोटिंग, किसके पक्ष में जाएगा फैसला?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव:
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार लगभग 65% मतदान हुआ, जो 2019 के 61.74% से करीब 3-4% अधिक है। खास बात यह है कि इस बार ग्रामीण इलाकों में शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा वोटिंग दर्ज की गई है। अब सवाल उठता है कि ये बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत किसके पक्ष में जाएगा?
ग्रामीण इलाकों में अधिक वोटिंग का असर
विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के लिए ग्रामीण इलाकों में अधिक वोटिंग फायदे का संकेत हो सकता है। एमवीए को ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत माना जाता है, और यह माना जा रहा है कि किसान और ग्रामीण वर्ग बदलाव की मांग के साथ बड़ी संख्या में वोट देने निकले।
इसके विपरीत, शहरी इलाकों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की पकड़ मजबूत है। अगर शहरी क्षेत्रों में मतदान अपेक्षाकृत कम रहा है, तो इसका असर सत्ताधारी महायुति गठबंधन पर पड़ सकता है।
सत्ताधारी दल की प्रतिक्रिया
डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मतदान प्रतिशत में वृद्धि को “सत्ता समर्थक लहर” और “सरकार के प्रति जनता के भरोसे” का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि मतदान में वृद्धि से महायुति गठबंधन को फायदा होगा और वे दोबारा सरकार बनाएंगे।
फडणवीस ने यह भी उल्लेख किया कि महिला वोटरों की संख्या में वृद्धि संभवतः ‘लाडकी बहन योजना’ जैसी पहल के कारण हुई है, जो महिलाओं को सरकार के प्रति आकर्षित कर सकती है।
एग्जिट पोल और सट्टा बाजार के अनुमान
अधिकांश एग्जिट पोल भाजपा-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन की जीत का अनुमान लगा रहे हैं, लेकिन कुछ विश्लेषकों का मानना है कि महाविकास अघाड़ी को बढ़त मिल सकती है।
मुख्यमंत्री कौन बनेगा?
चुनाव के नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद का फैसला महायुति के घटक दलों भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), और एनसीपी (अजित पवार गुट) के बीच आपसी सहमति से होगा।
महिला वोटरों की भूमिका
महिला मतदाताओं की बढ़ती भागीदारी चुनावी समीकरणों को बदल सकती है। कई योजनाओं और नीतियों के कारण महिलाएं इस बार बड़ी संख्या में मतदान केंद्र पहुंचीं, जो सत्ताधारी गठबंधन के पक्ष में हो सकता है।
फैसला किसके पक्ष में जाएगा?
- अगर ग्रामीण इलाकों की बढ़ी हुई वोटिंग महाविकास अघाड़ी के पक्ष में जाती है, तो सत्ता बदल सकती है।
- शहरी क्षेत्रों और महिला मतदाताओं की बढ़ी भागीदारी महायुति के लिए लाभकारी हो सकती है।
अब सबकी नजरें नतीजों पर हैं, जो यह तय करेंगे कि महाराष्ट्र की राजनीति में अगला अध्याय कौन लिखेगा।