अक्षय नवमी: आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन कर भगवान का लिया जाता है आशीर्वाद

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अक्षय नवमी हिंदू पंचांग के अनुसार एक विशेष तिथि होती है, जो कार्तिक माह की नवमी को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से आंवला वृक्ष की पूजा से जुड़ा हुआ है, जिस दिन लोग आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और आंवला के फल का सेवन करते हैं। अक्षय नवमी का यह पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपनी समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं।

अक्षय नवमी का महत्व

अक्षय नवमी का दिन विशेष रूप से धन, समृद्धि, और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को आंवला नवमी भी कहा जाता है, क्योंकि आंवला वृक्ष को विशेष रूप से पूजा जाता है। आंवला को स्वास्थ्य, बल, बुद्धि और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन इसे भगवान के रूप में पूजा जाता है।

इस दिन को लेकर मान्यता है कि भगवान विष्णु ने इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर धरती पर वास किया था, और तभी से इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा की परंपरा शुरू हुई। साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु और अन्य देवताओं की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है, जो जीवन में सुख और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।

पूजा विधि

अक्षय नवमी के दिन, श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर स्नान कर ताजे वस्त्र पहनते हैं। फिर वे आंवला वृक्ष के नीचे जाते हैं और वहां आंवला के फल को पूजा सामग्री के रूप में रखते हैं। इसके बाद आंवला के फल को भगवान को अर्पित करते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके बाद, आंवला के फल का सेवन किया जाता है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।

इसके अलावा, इस दिन लोग दान भी करते हैं, जैसे गरीबों को आंवला, ताम्रपत्र, अनाज या अन्य धार्मिक वस्त्र आदि दान में देते हैं। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान अक्षय होता है, यानी इसका पुण्य जीवनभर मिलता है।

भोजन की विशेषता

इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर पारंपरिक भोजन करना भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है। लोग खासकर खिचड़ी, पुरी-आलू, और मिठाइयां बनाकर परोसते हैं। यह भोजन विशेष रूप से शाकाहारी होता है और इसका सेवन शुद्धता और आंतरिक शांति के साथ किया जाता है। आंवला फल का सेवन भी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।