इस वर्ष 31 अक्टूबर को उदया चतुर्दशी तिथि पर अष्ट लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन माता लक्ष्मी के आठ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जो समृद्धि, धन, और सुख-शांति का प्रतीक मानी जाती हैं। इस अवसर पर भक्तजन विशेष रूप से माता लक्ष्मी का आह्वान करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
पूजन विधि
अष्ट लक्ष्मी पूजा की विधि को इस प्रकार किया जा सकता है:
- पूजन सामग्री:
- मिट्टी का दीपक
- पूजा थाली (प्लेट)
- फूल, चढ़ाने के लिए
- फल और मिठाई
- अक्षत (चावल)
- कुमकुम, रोली
- गंगाजल या पानी
- नारियल और लक्ष्मी चित्र
- स्नान और शुद्धता:
- पूजा से पहले अच्छे से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ करें और वहां एक चौकी पर लक्ष्मी जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- आह्वान:
- सबसे पहले दीप जलाएं और फिर लक्ष्मी जी का आह्वान करें।
- लक्ष्मी जी के साथ अन्य देवी-देवताओं का भी आह्वान करें।
- अष्ट लक्ष्मी का पूजन:
- अष्ट लक्ष्मी के आठ स्वरूपों (धन लक्ष्मी, धन्या लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, सक्कर लक्ष्मी, आदि) का पूजन करें।
- प्रत्येक स्वरूप के लिए अलग-अलग दीपक जलाएं और फूल चढ़ाएं।
- आरती और भोग:
- पूजा के बाद देवी लक्ष्मी की आरती करें और उन्हें भोग अर्पित करें।
- अंत में, सभी भक्तों को प्रसाद बांटें।
शुभ मुहूर्त
अष्ट लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:
- उदया चतुर्दशी तिथि: 31 अक्टूबर को सुबह 6:00 बजे से लेकर रात 8:00 बजे तक का समय शुभ माना जाता है।
- अष्टमी तिथि: अष्टमी तिथि पर पूजन का विशेष महत्व है, इसलिए इस दिन का पूजन करने से लाभ होगा।