अंतरराष्ट्रीयराजनीति

Zakir Naik Controversy: पाकिस्तान में जाकिर नाइक उगला जहर, कहा- ‘गैर मुस्लिमों को इस्लामिक देश में जजिया देना चाहिए’

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विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक ने एक बार फिर से अपने विवादित बयानों के लिए सुर्खियाँ बटोरी हैं। पाकिस्तान में एक कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने गैर मुस्लिमों के लिए जजिया (एक प्रकार का कर) लगाने की बात कही, जिसे लेकर उनके बयानों पर आलोचना हो रही है।

1. जजिया का संदर्भ:

जाकिर नाइक ने कहा, “गैर मुस्लिमों को इस्लामिक देशों में जजिया देना चाहिए। यह इस्लामी कानून का हिस्सा है और इसे लागू किया जाना चाहिए।” उनके इस बयान ने एक बार फिर से विवाद खड़ा कर दिया है, खासकर ऐसे समय में जब धार्मिक सहिष्णुता और विविधता पर चर्चा हो रही है।

2. नाइक की विवादास्पद पहचान:

जाकिर नाइक को पहले भी कई बार विवादों में देखा गया है। उन्हें भारत से भागने के बाद पाकिस्तान में समर्थन प्राप्त है। नाइक का नाम आतंकवाद से जुड़े मामलों में भी लिया गया है, और वह कई देशों में प्रतिबंधित हैं। उनके विचारों और बयानों को अक्सर कट्टरपंथी माना जाता है।

3. पाकिस्तान में प्रतिक्रिया:

उनके इस बयान पर पाकिस्तान में विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कुछ धार्मिक संगठनों ने उनके बयानों का समर्थन किया है, जबकि कई लोगों ने इसकी निंदा की है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है, जहाँ लोग नाइक के बयानों की आलोचना कर रहे हैं।

4. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:

नाइक के इस बयान पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। कई मानवाधिकार संगठनों ने इसे धार्मिक भेदभाव का उदाहरण बताया है और इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि इस तरह के बयानों से धार्मिक सहिष्णुता को नुकसान पहुँचता है।

5. जाकिर नाइक का बचाव:

जाकिर नाइक ने अपने बयानों का बचाव करते हुए कहा है कि उन्होंने केवल इस्लाम के सिद्धांतों की बात की है। उनका कहना है कि इस्लाम में न्याय और समानता का सिद्धांत है, और जजिया का संबंध केवल आर्थिक सुरक्षा से है।

6. आगे की स्थिति:

जाकिर नाइक का यह बयान न केवल पाकिस्तान में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। इस मुद्दे पर बहस आगे भी जारी रहने की संभावना है, और यह देखना होगा कि धार्मिक और राजनीतिक संगठनों की प्रतिक्रिया क्या होती है।

जाकिर नाइक का यह बयान उनके विवादास्पद विचारों को एक बार फिर से उजागर करता है और यह एक गंभीर चर्चा का विषय बन गया है, जो धार्मिक सहिष्णुता और मानवाधिकारों के मुद्दों पर केंद्रित है।