नेपाल में भूकंप का लगातार खतरा
नेपाल में भूकंप बार-बार क्यों आते हैं? यह सवाल हर किसी के मन में उठता है। मंगलवार सुबह नेपाल की राजधानी काठमांडू में 7.1 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे नेपाल-तिब्बत बॉर्डर प्रभावित हुआ। भूकंप की वजह से अब तक 95 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके पीछे भूगर्भीय कारण हैं, जिनका गहराई से अध्ययन जरूरी है।
नेपाल की भूगोल: भूकंप के केंद्र में क्यों?
नेपाल, हिमालय पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित है, जो भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स के संधि क्षेत्र पर है। भारतीय प्लेट उत्तर दिशा में बढ़ती है और यूरेशियन प्लेट से टकराती है। यह टकराव लाखों वर्षों से जारी है, जिसके कारण हिमालय बना। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो इनमें भारी तनाव उत्पन्न होता है। यह तनाव ऊर्जा के रूप में बाहर निकलता है और भूकंप का कारण बनता है।
हिमालयी क्षेत्र की भौगोलिक कमजोरियां
हिमालयी क्षेत्र भूगर्भीय रूप से अस्थिर है। यहां की चट्टानें कमजोर हैं, जो भूकंप के असर को और बढ़ा देती हैं। बारिश और जमीन का कटाव इस स्थिति को और गंभीर बना देता है। हिमालय एक युवा पर्वत श्रृंखला है, जो भूवैज्ञानिक नजरिये से ज्यादा स्थिर नहीं है।
नेपाल के विनाशकारी भूकंप
2015 का भूकंप:
नेपाल में 25 अप्रैल 2015 को 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें करीब 9,000 लोग मारे गए और 22,000 से ज्यादा घायल हुए थे। इस भूकंप में 8 लाख से अधिक घर और स्कूल की इमारतें नष्ट हुई थीं।
1988 का भूकंप:
21 अगस्त 1988 को 6.9 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 700 से अधिक लोग मारे गए और हजारों घायल हुए।
1934 का नेपाल-बिहार भूकंप:
यह नेपाल के इतिहास का सबसे खतरनाक भूकंप माना जाता है। 8.0 तीव्रता के इस भूकंप ने नेपाल और बिहार दोनों को तबाह कर दिया था। इस आपदा में 10,000 से अधिक लोग मारे गए थे।
भविष्य में क्या हैं खतरे?
नेपाल एक सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र में आता है। टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच लगातार तनाव जमा होता है, जो किसी भी समय विनाशकारी भूकंप का कारण बन सकता है। भूकंप की रोकथाम संभव नहीं है, लेकिन सही तैयारी से जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
नेपाल में बार-बार भूकंप आने के पीछे टेक्टोनिक प्लेट्स का टकराव और हिमालयी क्षेत्र की भौगोलिक कमजोरियां मुख्य कारण हैं। ऐसे में भूगर्भीय अध्ययन और सही सुरक्षा उपायों की सख्त जरूरत है।