अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 की शुरुआत हो चुकी है, और हर कोई पॉपुलर वोट्स (जनमत) की बात कर रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के लिए सिर्फ पॉपुलर वोट्स जितना काफी नहीं है? असल में, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज़रूरी होता है इलेक्टोरल वोट्स का खेल। इस खबर में हम समझेंगे कि 270 इलेक्टोरल वोट्स का क्या महत्व है और कैसे एक उम्मीदवार पॉपुलर वोट जीतने के बावजूद राष्ट्रपति नहीं बन सकता।
1. इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली: कैसे काम करती है?
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली का पालन किया जाता है, जिसमें प्रत्येक राज्य को एक निर्धारित संख्या में इलेक्टोरल वोट्स मिलते हैं। यह संख्या राज्य की जनसंख्या पर आधारित होती है। कुल मिलाकर 538 इलेक्टोरल वोट्स होते हैं, और एक उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए 270 इलेक्टोरल वोट्स की आवश्यकता होती है।
- उदाहरण: अगर किसी राज्य की जनसंख्या ज्यादा है, तो उस राज्य को अधिक इलेक्टोरल वोट्स मिलेंगे। उदाहरण के लिए, कैलिफोर्निया को 55 वोट्स मिलते हैं, जबकि छोटे राज्यों जैसे डेलावेयर को केवल 3 वोट्स मिलते हैं।
2. पॉपुलर वोट और इलेक्टोरल वोट्स के बीच अंतर
पॉपुलर वोट्स वह वोट होते हैं, जो आम नागरिक अपने चुनावी बूथ पर डालते हैं। हालांकि, ये वोट सीधे राष्ट्रपति के चुनाव परिणाम पर असर नहीं डालते। पॉपुलर वोट्स केवल यह निर्धारित करते हैं कि कौन से राज्य में कौन सा उम्मीदवार जीत रहा है।
इलेक्टोरल वोट्स वही अंतिम निर्णायक हैं। प्रत्येक राज्य में, पॉपुलर वोट जीतने वाला उम्मीदवार उस राज्य के सभी इलेक्टोरल वोट्स जीत लेता है (कई राज्यों में ‘विनर-टेक्स-ऑल’ प्रणाली लागू होती है)। इसका मतलब यह है कि एक उम्मीदवार राज्य में एक भी वोट से जीतकर सारे इलेक्टोरल वोट्स हासिल कर सकता है, जबकि दूसरे उम्मीदवार को कुछ भी नहीं मिलेगा।
3. कैसे पॉपुलर वोट जीतकर भी राष्ट्रपति नहीं बन सकते?
यहां तक कि यदि एक उम्मीदवार पॉपुलर वोट्स में अधिक वोट प्राप्त करता है, तो भी वह राष्ट्रपति नहीं बन सकता है अगर उसके पास 270 इलेक्टोरल वोट्स नहीं हैं। 2000 में अल गोर और 2016 में हिलारी क्लिंटन जैसे उदाहरणों में देखा गया, जहां पॉपुलर वोट जीतने के बावजूद इलेक्टोरल वोट्स में हार का सामना करना पड़ा।
उदाहरण: 2016 में हिलारी क्लिंटन ने डोनाल्ड ट्रंप से ज्यादा पॉपुलर वोट्स जीते, लेकिन ट्रंप ने अधिक इलेक्टोरल वोट्स जीतकर चुनाव जीत लिया। इसका कारण यह था कि ट्रंप ने उन राज्यों में जीत हासिल की जहां इलेक्टोरल वोट्स ज्यादा थे, जबकि क्लिंटन कुछ प्रमुख राज्यों में हार गईं।
4. इलेक्टोरल वोट्स की गणना
अमेरिका में 538 इलेक्टोरल वोट्स होते हैं। इन वोट्स का वितरण विभिन्न राज्यों के बीच इस प्रकार किया जाता है:
- कैलिफोर्निया: 55 इलेक्टोरल वोट्स
- टेक्सास: 38 इलेक्टोरल वोट्स
- फ्लोरिडा: 30 इलेक्टोरल वोट्स
- न्यूयॉर्क: 29 इलेक्टोरल वोट्स
इस प्रकार, कोई भी उम्मीदवार यदि प्रमुख राज्यों में जीत हासिल करता है, तो वह आसानी से 270 इलेक्टोरल वोट्स की संख्या पार कर सकता है, भले ही वह पॉपुलर वोट्स में पिछड़े।
5. इलेक्टोरल वोट्स के महत्व को क्यों समझें?
इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली में राज्य की जनसंख्या और चुनावी महत्व का गहरा असर होता है। छोटे और बड़े राज्यों का चुनावी महत्व अलग-अलग होता है। कई बार एक उम्मीदवार राष्ट्रीय स्तर पर अधिक पॉपुलर हो सकता है, लेकिन चुनावी दृष्टिकोण से वह रणनीतिक रूप से कुछ महत्वपूर्ण राज्यों में हार सकता है, जिससे उसे इलेक्टोरल वोट्स कम मिलते हैं।
6. नतीजा: 270 इलेक्टोरल वोट्स की ओर बढ़ते हुए
इलेक्टोरल वोट्स के खेल में 270 वोट्स हासिल करना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही संख्या एक उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए चाहिए। पॉपुलर वोट्स भले ही महत्वपूर्ण हों, लेकिन वास्तविक ताकत तो इलेक्टोरल कॉलेज में है। इसलिए, चुनावी रणनीतियों का निर्धारण भी इस गणित पर आधारित होता है, और उम्मीदवारों को राज्यों की सटीक स्थिति के अनुसार अपनी मुहिम चलानी होती है।