चीन में जगह-जगह है ‘तीसरी आंख’! इस मामले में अव्वल, जानें- इंडिया और US का लिस्ट में कौन सा पायदान

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Surveilled Cities की नवीनतम रिपोर्ट ने दुनिया भर में निगरानी के स्तर को उजागर किया है, जिसमें चीन को सबसे अधिक निगरानी वाले शहरों के मामले में शीर्ष पर रखा गया है। रिपोर्ट में, चीन के शहरों में हर कोने पर ‘तीसरी आंख’ के रूप में पहचाने जाने वाले निगरानी कैमरों की बड़ी संख्या का उल्लेख किया गया है। इसके साथ ही, भारत और अमेरिका की स्थिति को भी स्पष्ट किया गया है, जो कि इस मामले में निम्नलिखित पायदानों पर हैं।

चीन: निगरानी में अव्वल

  1. सबसे अधिक निगरानी वाले शहर:
    • चीन ने निगरानी कैमरों की विशाल संख्या और अत्याधुनिक तकनीक के साथ शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। बीजिंग, शंघाई और अन्य प्रमुख चीनी शहरों में कैमरों की अत्यधिक तैनाती की गई है, जो नागरिकों की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखती है।
    • चीन का “स्मार्ट सिटी” प्रोजेक्ट और सोशल क्रेडिट सिस्टम निगरानी के मामलों में अत्याधुनिक हैं, जिससे यह लिस्ट में सबसे ऊपर है।
  2. तकनीकी उन्नति:
    • चीन ने AI और फेस रेकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल करके निगरानी को और भी प्रभावशाली और सटीक बना दिया है।

भारत: निगरानी की स्थिति

  1. पायदान:
    • भारत इस लिस्ट में कुछ पीछे है, लेकिन निगरानी के मामलों में बड़ी तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में निगरानी कैमरों की संख्या बढ़ाई गई है।
    • भारत में स्मार्ट सिटी परियोजनाओं और सुरक्षा उपायों के हिस्से के रूप में निगरानी का विस्तार हो रहा है, लेकिन चीन की तुलना में यह अभी भी कुछ हद तक पीछे है।
  2. विवाद और चुनौती:
    • भारत में निगरानी से जुड़े मुद्दे और डेटा प्राइवेसी की चिंताओं को लेकर विवाद और सार्वजनिक चिंता भी बनी हुई है।

अमेरिका: निगरानी की स्थिति

  1. पायदान:
    • अमेरिका इस लिस्ट में चीन के बाद दूसरे पायदान पर है। अमेरिकी शहरों जैसे न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलिस और शिकागो में भी निगरानी कैमरों की एक बड़ी संख्या है।
    • अमेरिका में निगरानी के मामले में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाता है, लेकिन व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्राइवेसी के अधिकारों को लेकर विवाद भी होते हैं।
  2. सार्वजनिक चिंता:
    • अमेरिका में निगरानी के बढ़ते स्तर को लेकर अक्सर सार्वजनिक और कानूनी चर्चाएँ होती रहती हैं, जो प्राइवेसी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रभाव डालती हैं।

निगरानी की वैश्विक स्थिति

  1. सुरक्षा बनाम प्राइवेसी:
    • वैश्विक स्तर पर निगरानी और प्राइवेसी के बीच संतुलन बनाना एक बड़ा चुनौती है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से निगरानी महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन इससे जुड़ी प्राइवेसी चिंताओं को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।
  2. तकनीकी उन्नति और मानवाधिकार:
    • तकनीकी उन्नति के साथ निगरानी के तरीके भी बदल रहे हैं। विभिन्न देशों में मानवाधिकार और प्राइवेसी के अधिकारों की रक्षा करना इस बदलाव का महत्वपूर्ण हिस्सा है।