“युद्ध से नहीं संवाद से निकलेगा समाधान”: जयशंकर का बड़ा संदेश
शांति और संवाद का आह्वान
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इटली यात्रा के दौरान पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष और आतंकवाद पर चिंता जताई। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि युद्ध के मैदान से किसी भी समस्या का समाधान नहीं निकल सकता। जयशंकर ने भारत की नीति को दोहराते हुए कहा कि भारत हमेशा शांति और संवाद का पक्षधर रहा है।
आतंकवाद और निर्दोषों की मौत की कड़ी निंदा
जयशंकर ने इजराइल और फलस्तीनी क्षेत्रों में हो रही हिंसा और आतंकवादी गतिविधियों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि निर्दोष नागरिकों की जान जाने को स्वीकार नहीं किया जा सकता। अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करना बेहद जरूरी है।
भारत का पश्चिम एशिया में समाधान का सुझाव
जयशंकर ने पश्चिम एशिया के लिए तत्काल संघर्षविराम और दीर्घकालिक समाधान की बात कही। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के तहत द्वि-राष्ट्र समाधान को आवश्यक बताया। जयशंकर ने कहा कि भारत पश्चिम एशिया में शांति प्रयासों के लिए हरसंभव मदद करने को तैयार है।
भारत के वैश्विक प्रयास
जयशंकर ने कहा कि भारत, इजराइल और ईरान के साथ संपर्क में है और क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों को बढ़ावा दे रहा है। भारतीय नौसेना भी अदन की खाड़ी और उत्तरी अरब सागर में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय है।
यूक्रेन-रूस युद्ध पर जयशंकर का रुख
यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध पर टिप्पणी करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह संघर्ष वैश्विक अस्थिरता का कारण बन रहा है। उन्होंने इस विवाद को युद्ध से नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति के माध्यम से सुलझाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
भूमध्यसागरीय देशों के साथ मजबूत संबंध
जयशंकर ने भूमध्यसागरीय देशों के साथ भारत के घनिष्ठ संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इन देशों के साथ भारत का वार्षिक कारोबार 80 अरब अमेरिकी डॉलर का है। इसके अलावा, प्रवासी भारतीयों का बड़ा समुदाय इस क्षेत्र में रहता है।
“संघर्ष का शीघ्र अंत जरूरी”
जयशंकर ने कहा कि चाहे पश्चिम एशिया का संघर्ष हो या यूक्रेन-रूस युद्ध, इनका शीघ्र समाधान आवश्यक है। भारत का मानना है कि वैश्विक स्थिरता और विकास के लिए शांति और सहयोग सबसे महत्वपूर्ण हैं।
यह संदेश सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि वैश्विक समुदाय को शांति के लिए मिलकर काम करने की प्रेरणा देता है।