जीवनशैली

महाभारत कथा: कुंती के अलावा कौन-कौन जानता था कर्ण की सच्चाई?

Spread the love

महाभारत के महान योद्धा कर्ण की सच्चाई जानने का सौभाग्य कुछ ही लोगों को मिला था। कर्ण, जिन्हें सूर्यपुत्र और दानवीर के नाम से जाना जाता है, का वास्तविक परिचय उनकी मां कुंती के अलावा बहुत कम लोगों को पता था। महाभारत की इस कथा के अनुसार, कर्ण कुंती के सबसे बड़े पुत्र थे, जो एक शिशु के रूप में जन्म के तुरंत बाद ही कुंती द्वारा गंगा में प्रवाहित कर दिए गए थे। कुंती को अपनी भूल का एहसास तो था, लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें इस रहस्य को अपने तक ही सीमित रखने पर मजबूर कर दिया। आइए जानते हैं महाभारत में किन लोगों को कर्ण की सच्चाई पता थी:

1. भगवान श्रीकृष्ण

भगवान श्रीकृष्ण उन कुछ लोगों में से थे, जिन्हें कर्ण की सच्चाई मालूम थी। श्रीकृष्ण को अपनी दिव्य दृष्टि से यह पता था कि कर्ण वास्तव में कुंती और सूर्य देव का पुत्र है। महाभारत युद्ध से पहले उन्होंने पांडवों और कौरवों के बीच सुलह कराने का प्रयास किया था। उन्होंने कर्ण से भी बात की और उसे अपनी माता कुंती और भाइयों के साथ जुड़ने का प्रस्ताव दिया। लेकिन कर्ण ने दुर्योधन की मित्रता और वफादारी के कारण इसे अस्वीकार कर दिया।

2. पितामह भीष्म

भीष्म पितामह को भी इस रहस्य की जानकारी थी। जब कर्ण ने पांडवों के खिलाफ युद्ध में अपनी वीरता दिखाई, तो भीष्म ने कहा कि कर्ण को युद्ध में सम्मिलित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कर्ण की इस सच्चाई को जानने के बावजूद इसे गुप्त रखा, ताकि दोनों पक्षों में कोई अनचाहा तनाव न पैदा हो।

3. विदुर

महाभारत के सबसे बुद्धिमान और नीति कुशल व्यक्तित्वों में से एक विदुर भी इस रहस्य से अवगत थे। विदुर की गुप्त सूचनाओं और कूटनीति की समझ के कारण उन्हें इस रहस्य का पता था, लेकिन उन्होंने यह सच्चाई छिपाए रखी। विदुर जानते थे कि यदि यह सच उजागर होता है, तो महाभारत का युद्ध टल सकता है। विदुर ने यह बात कुंती की भावनाओं का सम्मान करते हुए किसी को नहीं बताई।

4. कुंती

कुंती ही वह महिला थीं, जिन्होंने सूर्य देव से वरदान प्राप्त करके कर्ण को जन्म दिया था। उन्हें कर्ण की वास्तविक पहचान की जानकारी थी, लेकिन समाज और राजघराने की परिस्थितियों के कारण उन्होंने इसे सबसे छिपाकर रखा। महाभारत युद्ध से पहले कुंती ने स्वयं कर्ण से मिलकर उसे उसकी वास्तविक पहचान के बारे में बताया और पांडवों का साथ देने का आग्रह किया, जिसे कर्ण ने दुर्योधन की मित्रता और अपनी वफादारी का हवाला देकर अस्वीकार कर दिया।

कर्ण की सच्चाई का खुलासा

महाभारत युद्ध के अंतिम चरण में, कर्ण का यह राज तब सामने आया जब युद्ध के बाद पांडवों ने माता कुंती से इस बारे में सुना। कुंती ने अपने पुत्रों को बताया कि कर्ण उनका भाई था, जो पांडवों की तरह ही उनका सगा भाई था। इस रहस्योद्घाटन से पांडवों में गहरा शोक व्याप्त हो गया, और उन्हें अपने ही भाई के प्रति किए गए युद्ध पर पश्चाताप हुआ।