ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिका के प्रति आक्रामक रुख अपनाते हुए एक बार फिर तीखा बयान दिया है। हाल ही में अपने संबोधन के दौरान खामेनेई ने अमेरिका पर मानवाधिकार हनन और क्षेत्रीय संघर्षों में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि “अमेरिकी सरकार के हाथ खून से रंगे हैं” और दावा किया कि अमेरिका दुनिया भर में अस्थिरता फैलाने का काम कर रहा है।
खामेनेई का बयान और आरोप
खामेनेई ने अमेरिका पर पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष और हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अमेरिका की नीतियों के कारण क्षेत्र में निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। उनका कहना था कि अमेरिका का मकसद केवल अपने हित साधना है, भले ही इसके लिए निर्दोष लोगों का खून क्यों न बहाना पड़े। खामेनेई ने इस बयान में अमेरिकी प्रशासन पर दोहरे मानदंड अपनाने का भी आरोप लगाया, जिसमें वे अपने फायदे के लिए लोकतंत्र और मानवाधिकारों का इस्तेमाल करते हैं।
ईरान-अमेरिका के बीच तनाव की पृष्ठभूमि
यह बयान ऐसे समय में आया है जब ईरान और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के संबंध काफी खराब हुए हैं, खासकर जब से अमेरिका ने ईरान पर कई आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों के चलते ईरान की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है, जिसे खामेनेई ने ‘अमेरिका का अन्यायपूर्ण कदम’ करार दिया है। इसके अलावा, पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष और सुरक्षा मुद्दों पर भी दोनों देशों में असहमति है।
खामेनेई का इस्लामी देशों से एकजुट होने का आह्वान
अपने बयान में खामेनेई ने अन्य इस्लामी देशों से अपील की कि वे अमेरिका के खिलाफ एकजुट हों और उसके हस्तक्षेप का विरोध करें। उन्होंने कहा कि इस्लामी राष्ट्रों को मिलकर अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय शांति की रक्षा के लिए खड़ा होना चाहिए। खामेनेई ने अमेरिका को पश्चिम एशिया में अशांति फैलाने वाला और सैन्य हस्तक्षेप का समर्थक बताया।
क्या होगा आगे का रुख?
इस बयान के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और बढ़ने की संभावना है। अमेरिका ने पहले भी ईरान के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इस बार भी स्थिति तनावपूर्ण हो सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि खामेनेई का यह आक्रामक रुख ईरानी जनता और क्षेत्रीय सहयोगियों को समर्थन देने के लिए अपनाया गया है, लेकिन इससे ईरान-अमेरिका संबंध और जटिल हो सकते हैं।
अली खामेनेई के इस बयान के बाद दुनिया की नज़र अब इस बात पर है कि क्या दोनों देश किसी समाधान की ओर बढ़ेंगे या फिर यह संघर्ष और गहराएगा।