पुरुष हो जाएं सावधान: दिल की बीमारी और ब्रेन हेल्थ में महिलाओं से पहले होगी गिरावट, जानें बचाव के उपाय
1. हार्ट डिजीज और ब्रेन हेल्थ पर बड़ा असर
एक नई स्टडी में पाया गया है कि दिल की बीमारी और कार्डियोवेस्कुलर रिस्क फैक्टर्स पुरुषों में महिलाओं की तुलना में अधिक तेजी से ब्रेन हेल्थ को प्रभावित करते हैं। मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर जैसे कारणों से पुरुषों में न्यूरोडीजेनेरेशन (ब्रेन डैमेज) लगभग एक दशक पहले शुरू हो सकता है। खासतौर पर टेम्पोरल लोब जैसे ब्रेन रीजन, जो मेमोरी और सेंसरी प्रोसेसिंग के लिए ज़रूरी हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
2. क्या कहती है रिसर्च?
रिसर्च में 45 से 82 साल की उम्र के 34,425 प्रतिभागियों का डेटा यूके बायोबैंक से लिया गया। ब्रेन स्कैन और फ्रामिंगहैम रिस्क स्कोर का इस्तेमाल करके उम्र, ब्लड प्रेशर, स्मोकिंग और डायबिटीज जैसे फैक्टर्स पर विचार किया गया। निष्कर्ष बताते हैं कि पुरुषों में ग्रे मैटर (ब्रेन का अहम हिस्सा) की मात्रा महिलाओं की तुलना में तेजी से कम होती है।
3. पुरुषों पर ज्यादा गहरा असर क्यों?
इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर पॉल एडिसन ने कहा, “पुरुषों में हार्ट डिजीज के कारण डिमेंशिया का असर महिलाओं से एक दशक पहले शुरू हो जाता है। टेम्पोरल लोब, जो ऑडिटरी और विजुअल प्रॉसेसिंग और मेमोरी के लिए जरूरी है, सबसे कमजोर क्षेत्र होता है।”
4. डिमेंशिया और हार्ट डिजीज का कनेक्शन
पहले की स्टडीज ने मोटापा और कार्डियोवेस्कुलर रिस्क को डिमेंशिया के बढ़ते खतरे से जोड़ा है। लेकिन इस नई स्टडी से यह पता चला है कि पुरुष इन जोखिमों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
5. क्या कर सकते हैं पुरुष?
55 साल की उम्र से पहले कार्डियोवेस्कुलर रिस्क को मैनेज करना ब्रेन और दिल दोनों की सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है।
- ब्लड प्रेशर नियंत्रित करें: नियमित जांच कराएं और इसे सामान्य बनाए रखें।
- वजन कम करें: मोटापे से बचें और स्वस्थ आहार लें।
- स्मोकिंग और अल्कोहल से बचें: ये आदतें दिल और ब्रेन दोनों के लिए हानिकारक हैं।
- व्यायाम करें: रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जरूरी है।
- डॉक्टर की सलाह लें: समय-समय पर हेल्थ चेकअप कराते रहें।
6. भविष्य की तैयारी
इस स्टडी से यह स्पष्ट होता है कि पुरुषों को दिल की बीमारी और ब्रेन हेल्थ पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। जल्दी सावधानी बरतने से अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसे गंभीर समस्याओं का खतरा कम किया जा सकता है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख का उद्देश्य केवल जागरूकता बढ़ाना है। स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।)