15 महीने से चल रही जंग की तबाही
गाजा पट्टी में हमास और इजराइल के बीच 15 महीने से चल रही जंग ने इलाके को तहस-नहस कर दिया है। करीब 46,000 से अधिक मौतों ने यह साबित कर दिया है कि यह संघर्ष कितना भयंकर है। वहीं, इस जंग के अंत के लिए प्रस्तावित संघर्षविराम समझौते पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों ने एक नया मोड़ ला दिया है।
ट्रंप ने लिया संघर्षविराम का क्रेडिट
डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्षविराम की घोषणा का श्रेय लेते हुए कहा कि उनके शपथ ग्रहण से पहले यह युद्ध समाप्त होना चाहिए। उनका मानना है कि उनके प्रयासों से यह समझौता संभव हो सका। दूसरी ओर, नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि यह समझौता अभी अंतिम रूप में नहीं पहुंचा है और इसके विवरण पर काम जारी है।
फलस्तीनियों के लिए राहत की उम्मीद
गाजा में 15 महीने से जारी युद्ध ने मानवीय संकट को और बढ़ा दिया है। इस संघर्ष में गाजा की लगभग 90 प्रतिशत आबादी विस्थापित हो चुकी है। 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा इजराइल पर हमले के बाद यह जंग और तीव्र हो गई। हमास ने इस हमले में 1,200 लोगों की हत्या कर दी और 250 अन्य को बंधक बना लिया था। इसके जवाब में इजराइल के हमलों में हजारों फलस्तीनियों की जान चली गई।
संघर्षविराम पर नेतन्याहू का बयान
अमेरिका और कतर ने जिस समझौते की घोषणा की है, उस पर नेतन्याहू ने फिलहाल कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है। उनका कहना है कि जब तक समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, तब तक इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।
क्या संघर्षविराम से आएगी स्थिरता?
पश्चिम एशिया में लंबे समय से अस्थिरता का केंद्र बने गाजा और इजराइल के संघर्ष ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है। इस समझौते के बाद गाजा में फंसे बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, फलस्तीनी सड़कों पर उतरकर अपनी खुशी जता रहे हैं।
यह संघर्ष सिर्फ एक क्षेत्रीय लड़ाई नहीं है, बल्कि इसका असर वैश्विक राजनीति पर भी पड़ा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह संघर्षविराम पश्चिम एशिया को स्थिरता की ओर ले जाएगा।