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दिल्ली में पूर्वांचलियों को लेकर गरमाई राजनीति | आप और भाजपा के बीच बढ़ा टकराव

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दिल्ली में पूर्वांचलियों के मुद्दे पर गरमाई राजनीति

दिल्ली में पूर्वांचलियों को लेकर राजनीतिक माहौल गरम हो गया है। आप नेता संजय सिंह ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पूर्वांचल के लोगों को बांग्लादेशी बताकर उनके घर और दुकानों को उजाड़ने की साजिश रची जा रही है।

इसके साथ ही, उन्होंने दावा किया है कि दिल्ली के स्कूलों में पूर्वांचल के बच्चों के साथ भेदभाव हो रहा है। यह विवाद दोनों दलों के बीच तनाव को और बढ़ा रहा है।


आप नेता के आरोप

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने सीधे तौर पर भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि वे पूर्वांचलियों के खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा पूर्वांचल के लोगों को दिल्ली में अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।

संजय सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा न केवल उनके घरों और दुकानों को निशाना बना रही है, बल्कि स्कूलों में उनके बच्चों को भी भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।


भाजपा का जवाब

इस मुद्दे पर भाजपा ने आप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि आम आदमी पार्टी राजनीति करने के लिए इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगा रही है। भाजपा नेताओं ने दावा किया कि वे दिल्ली के सभी नागरिकों के लिए काम कर रहे हैं और जाति, क्षेत्र या समुदाय के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करते।


पूर्वांचलियों की अहम भूमिका

दिल्ली में पूर्वांचलियों की आबादी एक बड़ा वोट बैंक मानी जाती है। बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाले लाखों लोग दिल्ली में रहकर काम करते हैं और यहां की राजनीति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।

पूर्वांचलियों के मुद्दों को लेकर राजनीति कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी दिल्ली के चुनावों में इन मुद्दों पर बहस होती रही है।


क्या कहता है समाज

दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचलियों का कहना है कि उन्हें हर बार चुनाव के दौरान ही याद किया जाता है। एक तरफ जहां उन्हें सस्ती राजनीति का शिकार बनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर उनके विकास और सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।


निष्कर्ष

पूर्वांचलियों को लेकर दिल्ली में आप और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। चुनावों से पहले इस तरह की राजनीति न केवल दिल्ली की राजनीति को गरमा रही है, बल्कि पूर्वांचल के लोगों में भी असुरक्षा की भावना पैदा कर रही है।

आने वाले दिनों में देखना होगा कि इस विवाद का हल किस तरह निकाला जाता है और दोनों दल किस तरह से इस मुद्दे पर जनता का विश्वास जीतने की कोशिश करते हैं।