चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ हुआ। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में भक्तों ने भोर में उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। इस अवसर पर घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जहां उन्होंने अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए सूर्य देवता से प्रार्थना की।
छठ पर्व का महत्व और श्रद्धालुओं की आस्था
छठ पर्व, जो मुख्य रूप से सूर्य देवता और छठी मइया को समर्पित है, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और दिल्ली-एनसीआर में धूमधाम से मनाया गया। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता से ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करना होता है। भक्तों ने निष्ठा और संयम के साथ चार दिनों तक व्रत रखा, जिसमें निर्जला उपवास और विभिन्न नियमों का पालन किया गया।
श्रद्धालुओं ने छठी मइया की पूजा करते हुए नदी और तालाब के किनारे पर व्रत का समापन किया। छठ पर्व में सूर्य देवता की पूजा की जाती है, क्योंकि वे जीवनदायिनी ऊर्जा के स्रोत माने जाते हैं। इस पर्व में उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देना विशेष महत्व रखता है।
यूपी, बिहार, झारखंड और दिल्ली के घाटों का दृश्य
- बिहार: पटना का गंगा घाट सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है, जहां छठ पूजा के लिए लाखों श्रद्धालु जमा होते हैं। गंगा नदी के किनारे भक्तों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी पूजा संपन्न की। भक्तों ने गंगा के साफ पानी में खड़े होकर सूर्य देवता की आराधना की और चार दिनों के कठिन उपवास का समापन किया।
- उत्तर प्रदेश: वाराणसी, लखनऊ, और गोरखपुर जैसे शहरों के घाटों पर भी छठ पर्व के दौरान भक्तों की भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने सरयू और गंगा नदी के किनारे खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना की। वाराणसी में गंगा के घाटों पर विशेष इंतजाम किए गए थे और सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए पुलिस की तैनाती की गई थी।
- झारखंड: रांची और जमशेदपुर के घाटों पर भी छठ का माहौल देखने को मिला। दामोदर और स्वर्णरेखा नदियों के किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। लोगों ने पारंपरिक गीतों और पूजा सामग्री के साथ सूर्य को अर्घ्य दिया। झारखंड में भी इस पर्व को लेकर लोगों में भारी उत्साह और श्रद्धा देखने को मिली।
- दिल्ली-एनसीआर: दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में यमुना नदी के किनारे श्रद्धालु छठ पूजा करने पहुंचे। कालिंदी कुंज और वजीराबाद जैसे घाटों पर भक्तों ने उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। दिल्ली सरकार ने छठ पर्व के लिए विशेष व्यवस्था की थी, जिसमें घाटों की सफाई, सुरक्षा, और श्रद्धालुओं की सुविधा के इंतजाम किए गए थे।
सांस्कृतिक धरोहर और भव्यता का नजारा
छठ पर्व न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक धरोहर भी है जो समाज को जोड़ता है। इस दौरान विशेष लोकगीत और छठी मइया के भजन गाए जाते हैं, जो उत्सव को और भी भव्य बनाते हैं। छठ पर्व पर लोग अपने परिजनों के साथ सामूहिक रूप से अर्घ्य देने जाते हैं, जिससे सामाजिक एकता की भावना को भी बल मिलता है।
प्रशासन द्वारा विशेष इंतजाम
इस साल छठ पूजा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए। पटना, वाराणसी, दिल्ली और रांची जैसे प्रमुख स्थानों पर घाटों की सफाई, बैरिकेडिंग, और सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगह-जगह पर चिकित्सा सेवाएं, पीने का पानी, और शौचालय की व्यवस्था की गई थी।
छठ पूजा की झलकियां
इस अवसर पर श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर था, और घाटों पर छठ पूजा की रंगीन झलकियां दिखीं। कई लोग पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर आए, और पूजा सामग्री जैसे केला, नारियल, गन्ना और अन्य फल-सब्जियों से भरी टोकरी के साथ पहुंचे।
छठ पर्व के संपन्न होते ही सभी भक्तों ने सूर्य देवता और छठी मइया को अपनी श्रद्धा और आस्था के साथ धन्यवाद दिया, जिससे यह महापर्व संपन्न हुआ।