आरती कश्यप
भारत में बेरोजगारी दर में कमी: रोजगार वृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
भारत में बेरोजगारी की समस्या हमेशा एक चिंता का विषय रही है, जो न केवल आर्थिक विकास को प्रभावित करती है, बल्कि सामाजिक असंतोष और आर्थिक असमानता का कारण भी बनती है। हालांकि, हाल के वर्षों में बेरोजगारी दर में कमी आई है, और यह भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है। सरकार की विभिन्न पहल, निजी क्षेत्र के विकास, और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में सुधार ने रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी की है।
इस लेख में हम भारत में बेरोजगारी दर में कमी के कारणों, उसके प्रभाव और इसके दीर्घकालिक परिणामों पर चर्चा करेंगे।
बेरोजगारी दर में कमी: आंकड़े और तथ्य
भारत में बेरोजगारी दर में कमी का सबसे बड़ा संकेत हाल के रोजगार सर्वेक्षण और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) के आंकड़ों से मिला है। 2023 के अंत तक बेरोजगारी दर में गिरावट दर्ज की गई और यह 6.1% से घटकर 5.6% तक पहुँच गई, जो कि पिछले कुछ वर्षों में सबसे कम स्तर है।
विशेष रूप से, युवाओं और महिलाओं के लिए बेरोजगारी में कमी एक उत्साहजनक संकेत है, क्योंकि यह दर्शाता है कि रोजगार बाजार में अब अधिक अवसर मौजूद हैं। इसके अलावा, नगरीय क्षेत्रों में रोजगार वृद्धि और ग्रामीण इलाकों में स्वरोजगार के अवसरों में इजाफा हुआ है।
सरकार की पहल और योजनाएं
- प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP): सरकार ने छोटे और मंझले उद्योगों के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम शुरू किया है, जिससे कई युवाओं को रोजगार के अवसर मिले हैं। इस योजना के तहत सरकार ने स्वरोजगार को बढ़ावा दिया है और लघु उद्योगों को प्रोत्साहित किया है। इसके परिणामस्वरूप छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिला है, जिससे नई नौकरियों का सृजन हुआ है।
- स्किल इंडिया मिशन: स्किल इंडिया मिशन ने कौशल विकास के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाया है। इस पहल के तहत, युवाओं को नई तकनीकों और कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया गया है। इससे न केवल बेरोजगारी दर में कमी आई है, बल्कि यह नौकरी पाने के अवसरों में भी वृद्धि हुई है।
- प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत योजना: आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत विभिन्न निर्माण परियोजनाओं और मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से रोजगार के नए अवसर सृजित किए गए हैं। इस योजना का उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुधार करना और स्थानीय उत्पादों की मांग बढ़ाना है, जिससे रोजगार सृजन में मदद मिली है।
- नौकरी सृजन की दिशा में नीतियों में बदलाव: सरकार ने श्रमिकों के अधिकारों और श्रमिकों की स्थिति को सुधारने के लिए कई नीतिगत बदलाव किए हैं। ई-गवर्नेंस और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों ने न केवल प्रशासनिक सुधारों को लागू किया है, बल्कि रोजगार सृजन के लिए एक स्थिर वातावरण भी प्रदान किया है।
निजी क्षेत्र और निवेश का योगदान
निजी क्षेत्र और विदेशी निवेश भी बेरोजगारी दर में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिसने विभिन्न उद्योगों में विकास को बढ़ावा दिया है। खासतौर पर, आईटी, ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल्स, और उत्पादन क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है।
साथ ही, स्टार्टअप्स और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियाँ बनाई गई हैं। उद्योगों में स्वचालन और आधुनिक तकनीकों की वृद्धि ने उच्च कौशल वाले पेशेवरों के लिए नए अवसरों का निर्माण किया है।
बेरोजगारी दर में कमी के कारण
- आर्थिक सुधार: पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक सुधारों के कारण भारत की अर्थव्यवस्था में स्थिरता आई है। GST (Goods and Services Tax), मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे कदमों ने भारत को एक निवेश-अनुकूल देश बनाया है, जिससे व्यापार और उद्योगों में तेजी से वृद्धि हुई है। इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल पाया है।
- वैश्विक परिदृश्य में सुधार: वैश्विक स्तर पर आर्थिक परिस्थितियों में सुधार ने भी भारत की निर्यात क्षमता को बढ़ाया है, जिससे विशेष रूप से विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि हुई है। कोरोना महामारी के बाद, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव और भारत के व्यापारिक साझेदारों के साथ बढ़ते संबंधों ने भारतीय उद्योगों को पुनः गतिशील किया है।
- नौकरी बाजार का डिजिटलीकरण: भारत में डिजिटल प्लेटफार्मों की बढ़ती उपस्थिति ने ऑनलाइन रोजगार पोर्टल्स को और अधिक सुलभ बना दिया है। इससे युवाओं को रोजगार की तलाश में आसानी हुई है और साथ ही, फ्रीलांसिंग और वर्क-फ्रॉम-होम जैसी रोजगार विधियों के अवसर भी बढ़े हैं।
बेरोजगारी दर में कमी के प्रभाव
- आर्थिक स्थिरता: बेरोजगारी दर में कमी से देश की आर्थिक स्थिरता में भी सुधार हुआ है। जब अधिक लोग काम में लगे होते हैं, तो उनकी खरीदी क्षमता बढ़ती है, जिससे घरेलू मांग में वृद्धि होती है और अर्थव्यवस्था का चक्र सक्रिय रहता है।
- सामाजिक समृद्धि: रोजगार के अवसरों की वृद्धि ने भारतीय समाज में सामाजिक समृद्धि को बढ़ावा दिया है। जब लोग अपनी मेहनत के अनुसार पैसा कमाते हैं, तो यह सामाजिक समानता और स्थिरता को प्रोत्साहित करता है।
- नवाचार और विकास: रोजगार के अवसरों के साथ नवाचार और विकास के नए रास्ते खुलते हैं। युवा पीढ़ी को अधिक मौके मिलते हैं, जिससे नई सोच, नई तकनीकें, और सुधार देश में आने लगते हैं।
निष्कर्ष
भारत में बेरोजगारी दर में कमी सरकार की सकारात्मक नीतियों, निजी क्षेत्र के योगदान, और वैश्विक आर्थिक सुधारों का परिणाम है। सरकार द्वारा किए गए प्रयासों और विभिन्न योजनाओं के परिणामस्वरूप रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है, जो न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं, बल्कि सामाजिक समृद्धि और आर्थिक स्थिरता को भी सुनिश्चित करते हैं।
हालांकि, बेरोजगारी को पूरी तरह समाप्त करना अभी भी एक चुनौती है, लेकिन इस दिशा में किए गए कदम और सकारात्मक संकेत भारत के भविष्य के लिए उज्जवल हैं। यदि यह गति बनी रहती है, तो आने वाले वर्षों में बेरोजगारी दर और अधिक कम हो सकती है, जिससे भारत के विकास की गति को और तेज़ किया जा सकेगा।