चीन का भूटान पर कब्जा: विस्तारवाद की नीति और विश्व शांति के लिए खतरा

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चीन ने हाल ही में भूटान के कुछ हिस्सों पर अपने नियंत्रण का दावा किया है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न हुई हैं। यह कदम चीन की विस्तारवादी नीति का एक हिस्सा है, जो न केवल दक्षिण एशिया, बल्कि वैश्विक स्तर पर शांति के लिए खतरा बन रहा है।

चीन का दावा

चीन ने भूटान के पश्चिमी क्षेत्र में कुछ ऐसे क्षेत्रों पर दावा किया है, जो historically भूटान का हिस्सा रहे हैं। चीनी अधिकारियों ने कहा है कि ये क्षेत्र ‘चीन के ऐतिहासिक अधिकारों’ के तहत आते हैं। भूटान सरकार ने इस दावे को खारिज कर दिया है और कहा है कि ये क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमा के तहत भूटान की संप्रभुता में आते हैं।

विस्तारवाद की नीति

चीन की यह हरकत उसके विस्तारवादी नीति का हिस्सा है, जो पिछले कुछ वर्षों में कई देशों के साथ सीमा विवादों में देखी जा चुकी है। चीन ने तिब्बत, भारत, और दक्षिण चीन सागर जैसे क्षेत्रों में भी अपने दावों को लेकर विवाद पैदा किया है। इस नीति ने क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाया है और विश्व शांति को खतरे में डाल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

भूटान की स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया भी महत्वपूर्ण है। भारत, जो भूटान का करीबी सहयोगी है, ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है। भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि वे भूटान की संप्रभुता के प्रति पूरी तरह से समर्थन करते हैं। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने भी चीन की विस्तारवादी नीति की निंदा की है, और इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन मानते हैं।

वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव

चीन का भूटान पर कब्जा वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। यदि यह स्थिति नियंत्रित नहीं की गई, तो यह दक्षिण एशिया में एक नया संघर्ष उत्पन्न कर सकती है, जो न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को बल्कि वैश्विक शांति को भी प्रभावित कर सकता है।