भारत और कनाडा के बीच जारी तनाव के बीच, हाल की घटनाओं ने हिंदू समुदाय के लिए चिंता बढ़ा दी है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तान समर्थक तत्वों के साथ अपने संबंधों को मजबूती देने का प्रयास किया है, जो हिंदू समुदाय को सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता के लिहाज से खतरे में डाल सकता है।
घटनाक्रम का विवरण
- खालिस्तान समर्थकों का बढ़ता प्रभाव:
- ट्रूडो सरकार की नीतियों और उनके हालिया बयानों ने खालिस्तान समर्थकों को सक्रिय कर दिया है। यह स्थिति कनाडा में हिंदू समुदाय के खिलाफ संभावित हिंसा और भेदभाव को बढ़ा सकती है।
- सियासी अस्तित्व का संकट:
- ट्रूडो के लिए सियासी अस्तित्व संकट में है। वे अपने राजनीतिक आधार को मजबूत करने के लिए खालिस्तान समर्थकों के साथ संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह कदम उन्हें कुछ वोट बैंक में मदद कर सकता है, लेकिन इससे समुदायों के बीच विभाजन भी बढ़ सकता है।
- हिंदू समुदाय की चिंताएँ:
- कनाडा में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं। उन्हें डर है कि सरकार की नीतियों से उनके खिलाफ भेदभाव और हिंसा को बढ़ावा मिल सकता है। कुछ हिंदू संगठनों ने इस खतरे के खिलाफ आवाज उठाई है और सुरक्षा की मांग की है।
- भारत का कड़ा रुख:
- भारत सरकार ने कनाडा के खिलाफ कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया दी है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि वे खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे और अपने नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेंगे।
- समाज में तनाव:
- इस स्थिति ने कनाडा में हिंदू और सिख समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। हिंदू संगठनों ने कनाडाई सरकार से स्पष्ट रूप से खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।