आरती कश्यप
कृषि संकट पर नई पहल: भारत में कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के कदम
भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हमेशा से कृषि क्षेत्र रहा है। लाखों किसानों के लिए यह जीविका का मुख्य स्रोत है, लेकिन बढ़ती समस्याएं जैसे जल संकट, मौसम परिवर्तन, कमजोर फसल उत्पादन, उचित सिंचाई सुविधाओं का अभाव, और उत्पादन लागत का बढ़ना कृषि संकट को और गहरा रहे हैं। इसके अलावा, कृषि उत्पादों की मूल्य अस्थिरता, मांग में कमी, और कृषक आत्महत्याओं जैसी घटनाएँ किसानों के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई हैं।
इस संकट को देखते हुए, भारत सरकार ने कृषि संकट के समाधान के लिए कुछ नई पहल की हैं, जिनका उद्देश्य कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करना और किसानों की स्थिति को सुधारना है। इस लेख में हम इन नई पहल के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
कृषि संकट: एक संक्षिप्त परिदृश्य
भारत में कृषि संकट के कई पहलू हैं, जिनमें सबसे प्रमुख हैं:
- जल संकट: पानी की कमी और अपर्याप्त सिंचाई के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
- मौसम परिवर्तन: अनियमित मानसून, सूखा, बर्फबारी और बाढ़ जैसी घटनाओं ने कृषि उत्पादन को अप्रत्याशित बना दिया है।
- उत्पादन लागत में वृद्धि: उर्वरक, कीटनाशकों, और बीजों की बढ़ती कीमतें किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बन रही हैं।
- बाजार में अनिश्चितता: कृषि उत्पादों के बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव से किसानों की आय स्थिर नहीं रहती।
- कृषक कर्ज: भारी कर्ज की वजह से कई किसान आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठा रहे हैं।
सरकार की नई पहल
कृषि संकट के समाधान के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- कृषि सुधार कानून: भारतीय सरकार ने कृषि सुधार कानूनों का ऐलान किया, जिनका उद्देश्य किसानों को फसल उत्पादन के बाद अपने उत्पादों को बेहतर मूल्य पर बेचने के अवसर प्रदान करना है। इन कानूनों के माध्यम से किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और कृषि विपणन में सुधार को बढ़ावा दिया गया है। इससे किसानों को संचालन शुल्क और बिचौलियों के हस्तक्षेप से बचने का मौका मिलेगा।
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN): प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत, छोटे और सीमांत किसानों को ₹6,000 प्रति वर्ष की सहायता दी जाती है। यह योजना किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है, ताकि वे खेती में होने वाले खर्चों को आसानी से कवर कर सकें और उनकी आय में स्थिरता आ सके।
- कृषि सिंचाई के लिए जलशक्ति अभियान: जल संकट को लेकर सरकार ने जलशक्ति अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य वर्षा जल संचयन, सिंचाई नेटवर्क का सुधार, और ड्रिप इरिगेशन जैसी विधियों को बढ़ावा देना है। इससे किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी और फसल उत्पादन में वृद्धि होगी।
- कृषि-तकनीकी नवाचार: सरकार ने कृषि में तकनीकी नवाचार के लिए कई पहल की हैं। इसमें स्मार्ट कृषि, ड्रोन तकनीक, और सटीक कृषि जैसी तकनीकों को शामिल किया गया है। इससे किसानों को बेहतर तरीके से मौसम की जानकारी मिल सकेगी, जो उन्हें फसल उत्पादन के फैसलों में मदद करेगा। इसके अलावा, वर्षा आधारित कृषि के लिए विशेष तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से कम नुकसान हो।
- कृषि उपज के लिए एमएसपी (Minimum Support Price): सरकार ने किसानों को उनके उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी दी है। इससे किसानों को उचित मूल्य मिलने की संभावना बढ़ गई है, और वे अपनी फसलों का सही मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। इससे कृषि उत्पादों के बाजार में अस्थिरता को कम किया गया है और किसानों की आय में सुधार हुआ है।
- कृषक कर्ज माफी और वित्तीय सहायता: भारतीय सरकार ने कृषकों के कर्ज की समस्या को दूर करने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। इन योजनाओं के तहत, किसानों के पुराने कर्ज माफ किए जाते हैं और उन्हें नौकरी और स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान किए जाते हैं। इसके अलावा, फसल बीमा योजना के तहत प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान होने पर किसानों को वित्तीय सहायता दी जाती है।
- आधुनिक मंडियों का निर्माण: सरकार ने ई-नेम जैसी आधुनिक कृषि मंडियां शुरू की हैं, जहां किसान सीधे अपने उत्पादों को बेच सकते हैं, बिना बिचौलियों के। इससे किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलता है और वे अपने उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर बेच सकते हैं।
किसानों के लिए सकारात्मक प्रभाव
इन नई पहलों से किसानों को कई सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं:
- आर्थिक स्थिरता: किसानों को उचित मूल्य, बेहतर सिंचाई, और कर्ज माफी जैसी योजनाओं से उनकी आय स्थिर होगी।
- प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: तकनीकी नवाचार और फसल बीमा योजनाओं के माध्यम से किसान प्राकृतिक आपदाओं से बेहतर तरीके से निपट सकेंगे।
- स्वावलंबन: स्वरोजगार और कृषि में नई तकनीकों के उपयोग से किसानों को अपने व्यवसाय को स्वतंत्र रूप से चलाने का अवसर मिलेगा।
- शेयर बाजार में भागीदारी: नए कृषि सुधार कानूनों से किसानों को स्वतंत्रता मिलेगी, जिससे वे अपनी फसलों को बाजार में बेच सकते हैं, जिससे उनका लाभ बढ़ेगा।
निष्कर्ष
कृषि संकट भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है, लेकिन नई पहल और सरकारी योजनाओं के माध्यम से यह संकट धीरे-धीरे हल हो सकता है। सरकार की कृषि सुधार नीतियां, आधुनिक तकनीकियों का इस्तेमाल, कृषक कर्ज माफी, और वित्तीय सहायता योजनाएं भारतीय कृषि को मजबूती देने का प्रयास कर रही हैं। इन पहलुओं का प्रभावी कार्यान्वयन भारत के कृषि क्षेत्र को एक नई दिशा प्रदान कर सकता है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और कृषि संकट से जूझ रहे भारतीय किसानों को राहत मिलेगी।
यदि इन पहलुओं को सही तरीके से लागू किया जाए, तो भारत का कृषि क्षेत्र दृढ़, समर्थ और आत्मनिर्भर हो सकता है।