भारत में जल संकट पर सरकार का नया कदम

भारत में जल संकट पर सरकार का नया कदम
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आरती कश्यप

भारत में जल संकट पर सरकार का नया कदम: भविष्य की स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण पहल

भारत में जल संकट एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है, बल्कि लाखों लोगों के जीवन को भी प्रभावित कर रहा है। बढ़ती जनसंख्या, कृषि की बढ़ती मांग, जलवायु परिवर्तन और जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन जैसे कारणों से जल संकट का संकट गहराता जा रहा है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, भारतीय सरकार ने जल संकट पर नियंत्रण पाने और भविष्य के लिए स्थिर जल प्रबंधन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नई पहल शुरू की है।

इस लेख में हम भारत में जल संकट पर सरकार के नए कदम और उनकी प्रभावशीलता पर चर्चा करेंगे।

जल संकट का वर्तमान परिदृश्य

भारत में जल संकट की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, देश की 50% से अधिक आबादी पानी की कमी से जूझ रही है, और 2025 तक भारत जल संकट के संकटपूर्ण चरण में प्रवेश कर सकता है। यह संकट खासतौर पर ग्रामीण इलाकों और कृषि क्षेत्रों में अधिक महसूस हो रहा है, जहां पानी की कमी सीधे कृषक जीवन, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य पर असर डाल रही है।

भारत में जल संकट के मुख्य कारणों में शामिल हैं:

  1. जलवायु परिवर्तन: बढ़ती गर्मी और अनियमित मानसून बारिश से जल संसाधनों में असंतुलन।
  2. अत्यधिक पानी की खपत: सिंचाई और घरेलू उपयोग में पानी का अत्यधिक दोहन।
  3. जल संचयन की कमी: वर्षा का जल इकट्ठा करने की समुचित व्यवस्था का अभाव।
  4. प्रदूषण: नदियों और जल स्रोतों में प्रदूषण की बढ़ती समस्या।

सरकार का नया कदम: जल संरक्षण के लिए राष्ट्रीय अभियान

भारत सरकार ने जल संकट से निपटने के लिए कई पहल की हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कदम हैं:

  1. जल शक्ति अभियान (Jal Shakti Abhiyan): सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय के तहत जल शक्ति अभियान की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य जल संचयन, जल की पुनः उपयोगिता और जल संरक्षण को बढ़ावा देना है। इस अभियान के अंतर्गत नदियों, जलाशयों और तालाबों की सफाई और पुनर्निर्माण, जल पुनर्चक्रण और वर्षा जल संचयन के उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह अभियान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों दोनों में जल संरक्षण को प्राथमिकता देता है। इसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम, जल उपयोग के नए तरीके, और स्थानीय समुदायों को जागरूक करने के प्रयास किए गए हैं।
  2. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) का मुख्य उद्देश्य किसानों को जल का अधिक कुशलता से उपयोग करने के लिए प्रेरित करना है। इस योजना के तहत, किसानों को ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर सिस्टम, और सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली जैसी जल संरक्षण तकनीकों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना का उद्देश्य जल का अधिकतम उपयोग करना और सिंचाई की विधियों को प्रभावी बनाना है, जिससे कृषि उत्पादकता बढ़े और जल का अनावश्यक दोहन रोका जा सके।
  3. नदी जोड़ो परियोजना: नदी जोड़ो परियोजना का उद्देश्य विभिन्न नदियों को जोड़कर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटना और जल संकट को हल करना है। इस परियोजना के तहत विभिन्न नदियों का पानी आपस में जोड़ा जाएगा, ताकि जल वितरण प्रणाली को बेहतर किया जा सके और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
  4. जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission): जल जीवन मिशन का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल से जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है। सरकार का लक्ष्य 2024 तक देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के पाइप की सुविधा उपलब्ध कराना है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ जल की उपलब्धता बढ़ाएगी, जिससे पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा और जल संकट कम होगा।
  5. जल विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवाचार: सरकार ने जल विज्ञान और जल प्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। जल पुनर्चक्रण, जल प्रबंधन, और जल आपूर्ति प्रणाली में सुधार के लिए संशोधन और अनुसंधान पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत नई जल प्रौद्योगिकियों, जैसे डेसालिनेशन (खारे पानी का मीठा पानी बनाना) और वर्षा जल संचयन प्रणालियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

जल संकट से निपटने के लिए लोगों की भूमिका

सरकार के इन कदमों को प्रभावी बनाने के लिए नागरिकों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जल संरक्षण केवल सरकारी योजनाओं पर निर्भर नहीं हो सकता, बल्कि इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को जिम्मेदार बनाना होगा। कुछ सामान्य उपाय जो लोग जल संकट से निपटने के लिए कर सकते हैं, उनमें शामिल हैं:

  • वर्षा जल संचयन: अपने घरों और कार्यस्थलों पर वर्षा जल संचयन प्रणाली लगाना।
  • जल का विवेकपूर्ण उपयोग: पानी का अधिक उपयोग करने से बचना, जैसे नल छोड़कर न रखना।
  • प्रदूषण रोकना: जल स्रोतों को साफ रखना और प्रदूषण को कम करना।

निष्कर्ष

भारत में जल संकट एक चुनौतीपूर्ण समस्या है, लेकिन सरकार के द्वारा उठाए गए कदम और सार्वजनिक जागरूकता इस समस्या के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। जल शक्ति अभियान, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, जल जीवन मिशन और नदी जोड़ो परियोजना जैसी पहलों ने जल संकट से निपटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है।

जल संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और संरक्षण न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक जिम्मेदार कदम है। यदि हम सभी मिलकर जल के महत्व को समझें और इसके संरक्षण के लिए प्रयास करें, तो हम भविष्य में जल संकट से निपटने में सफल हो सकते हैं।WaterCrisis