केजरीवाल का बड़ा बयान – दिल्ली में पानी संकट रोकने का दावा
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को चुनाव आयोग का दौरा किया और बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर आम आदमी पार्टी ने विरोध नहीं किया होता, तो दिल्ली के 1 करोड़ लोग पानी से वंचित रह जाते।
हरियाणा सरकार पर लगाया साजिश का आरोप
केजरीवाल ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार दिल्ली की जनता को प्यासा रखने की साजिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यमुना नदी में हरियाणा की तरफ से अमोनिया युक्त जहरीला पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे दिल्ली के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद होने की कगार पर हैं।
“अगर हमने विरोध नहीं किया होता और शोर नहीं मचाया होता तो दिल्ली के एक करोड़ लोगों को पानी मिलना बंद हो जाता। चुनाव आयोग ने हमें नोटिस भेजा, जबकि असल में कार्रवाई हरियाणा सरकार पर होनी चाहिए।” – अरविंद केजरीवाल
भाजपा पर भी साधा निशाना
केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि बीजेपी चुनाव जीतने के लिए दिल्ली की जनता को प्यासा मारना चाहती है।
“दिल्ली में खुलेआम पैसे, साड़ियां, जूते और जैकेट बांटे जा रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग चुप है। भाजपा को बचाने के लिए चुनाव आयोग हमारे खिलाफ कार्रवाई कर रहा है।”
दिल्ली में जल संकट कितना गंभीर?
दिल्ली सरकार के मुताबिक:
- यमुना नदी में अमोनिया का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है।
- वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स बंद होने की स्थिति में हैं।
- दिल्ली के 30% लोगों को पानी नहीं मिल सकता।
क्या कह रही है हरियाणा सरकार?
हरियाणा सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि वह दिल्ली को पर्याप्त मात्रा में साफ पानी दे रही है। हालांकि, केजरीवाल ने इसे चुनावी राजनीति करार दिया।
चुनाव आयोग से की शिकायत
आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग से भी शिकायत की। आप नेताओं का कहना है कि चुनाव वाले राज्यों में पानी रोककर भाजपा चुनाव को प्रभावित कर रही है।
जनता का क्या कहना है?
सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कई लोगों का मानना है कि दिल्ली में पानी की समस्या वाकई गंभीर होती जा रही है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। वहीं, भाजपा समर्थकों का कहना है कि यह सिर्फ केजरीवाल की राजनीति का हिस्सा है।
क्या चुनाव पर पड़ेगा असर?
दिल्ली में पानी संकट की यह बहस अब चुनावी मुद्दा बन चुकी है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि 5 फरवरी को दिल्ली की जनता इस पर क्या फैसला लेती है।