अमेरिका में बर्फीले तूफान का कहर
अमेरिका में इन दिनों सफेद ‘सुनामी’ की स्थिति बनी हुई है। देश के 30 से अधिक राज्यों में भीषण बर्फबारी हो रही है, जिससे 6 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। हालात इतने खराब हैं कि आपातकाल घोषित कर दिया गया है और लोगों को घरों से बाहर न निकलने की हिदायत दी गई है।
माइनस 28 डिग्री: ठंड का कहर
इस बर्फीले तूफान के दौरान तापमान माइनस 28 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। तेज हवाओं और भारी बर्फबारी के चलते विजिबिलिटी लगभग खत्म हो गई है। मिसूरी, वर्जीनिया, केंटकी, कैनसस, और अर्कनसस जैसे राज्यों में बर्फीला आपातकाल लागू किया गया है।
पोलर वॉर्टेक्स: तूफान का मुख्य कारण
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तरी ध्रुव से आने वाली ठंडी हवाओं ने पोलर वॉर्टेक्स (ध्रुवीय भंवर) का निर्माण किया है। इससे अमेरिका के कई इलाकों में भारी बर्फबारी और कड़ाके की ठंड की स्थिति बनी हुई है।
ऊटाह और सिनसिनाटी में स्थिति भयावह
ऊटाह में 45 मील प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं और 5 इंच तक बर्फबारी हो चुकी है। सिनसिनाटी में 7-10 इंच बर्फबारी की संभावना है। गाड़ियां बर्फ से ढकी हुई हैं, और जंगल बर्फ के कारण पूरी तरह उजाड़ दिख रहे हैं।
हवाई सेवाओं पर असर
बर्फीले तूफान के चलते अमेरिका में 1000 से अधिक उड़ानों को रद्द कर दिया गया है। सड़कों पर फंसे लोगों को निकालने के लिए नेशनल गार्ड्स को तैनात किया गया है। हालांकि, बर्फबारी इतनी तेज है कि राहत कार्य में भी मुश्किलें आ रही हैं।
दशक का सबसे बड़ा संकट
विशेषज्ञों का कहना है कि यह बर्फबारी 2011 के बाद सबसे भयानक है। अमेरिका के इतिहास में यह तूफान जनजीवन पर सबसे ज्यादा असर डालने वाले घटनाओं में से एक माना जा रहा है।
घरों में रहने की अपील
अमेरिकी प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा न करें और घरों में ही रहें। जनजीवन ठप हो चुका है और सड़कों से बर्फ हटाने के सभी प्रयास विफल हो रहे हैं।
निष्कर्ष
अमेरिका इस समय दशक के सबसे बड़े प्राकृतिक संकट से जूझ रहा है। कुदरत के इस कहर ने सुपरपावर माने जाने वाले देश को झुका दिया है। यह स्थिति दिखाती है कि मानव ने चाहे कितनी भी तरक्की कर ली हो, प्रकृति के सामने वह असहाय है।