मनमोहन सिंह का योगदान: आर्थिक संकट से लेकर विकास के युग तक
मनमोहन सिंह के 5 ऐतिहासिक फैसले | भारत के विकास की नई कहानी
डॉ. मनमोहन सिंह का नाम भारत के इतिहास में एक ऐसे नेता के रूप में दर्ज है, जिन्होंने देश को आर्थिक संकट से उबारकर विकास के रास्ते पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1991 में वित्त मंत्री के रूप में उनकी लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन (LPG) नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी। प्रधानमंत्री रहते हुए (2004-2014), उन्होंने कई योजनाएं लागू कीं, जो आज भी देश की प्रगति में योगदान दे रही हैं।
1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)
2005 में शुरू की गई मनरेगा योजना ग्रामीण भारत में रोजगार गारंटी का प्रतीक बन गई। इसके तहत, हर ग्रामीण परिवार को साल में 100 दिन का रोजगार देने का वादा किया गया। इस योजना ने न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी को कम किया, बल्कि वहां के बुनियादी ढांचे को भी मजबूत किया।
2. आधार कार्ड योजना
2009 में शुरू हुई आधार योजना ने नागरिकों को डिजिटल पहचान प्रदान की। 12 अंकों की यह यूनिक आईडी सरकारी योजनाओं के लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाने में सहायक बनी। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ी, बल्कि भ्रष्टाचार में भी कमी आई।
3. शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE)
2010 में लागू यह अधिनियम 6-14 साल के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है। इसने गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों को स्कूल जाने का अवसर दिया। शिक्षा के क्षेत्र में यह अधिनियम एक क्रांतिकारी कदम था, जिसने स्कूल छोड़ने की दर को कम किया।
4. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)
2013 में शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य गरीबों को सस्ते दामों पर अनाज उपलब्ध कराना था। इसके तहत, 1 से 3 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं, चावल और मोटा अनाज दिया गया। यह योजना देश में भूख और कुपोषण को कम करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई।
5. डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT)
1 जनवरी 2013 को शुरू की गई DBT योजना का उद्देश्य सब्सिडी और सरकारी लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाना था। इससे सरकारी योजनाओं में लीकेज कम हुआ और भ्रष्टाचार में कमी आई। आज, LPG सब्सिडी से लेकर मनरेगा की मजदूरी तक, सब कुछ DBT के माध्यम से सीधे खातों में ट्रांसफर किया जाता है।
अन्य ऐतिहासिक कदम
- परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौता (2008): भारत और अमेरिका के बीच यह समझौता भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।
- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM): 2005 में शुरू यह मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए था।
- आर्थिक सुधार: 2004 से 2008 के बीच भारत की अर्थव्यवस्था 8-9% की दर से बढ़ी।
निष्कर्ष
डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लागू की गई योजनाएं भारत के विकास की कहानी में अहम अध्याय हैं। उनकी दूरदर्शी नीतियों ने न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, बल्कि सामाजिक सुधारों की नींव भी रखी। उनकी विरासत आने वाले वर्षों तक प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।