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260 करोड़ की साइबर ठगी: दिल्ली-नोएडा के फर्जी कॉल सेंटर्स ने विदेशी नागरिकों को बनाया निशाना

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260 करोड़ की साइबर ठगी का खुलासा

दिल्ली और नोएडा में चल रहे फर्जी कॉल सेंटर्स ने 260 करोड़ रुपये की साइबर ठगी को अंजाम दिया। इन कॉल सेंटर्स ने अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को निशाना बनाया और उन्हें वित्तीय धोखाधड़ी के जाल में फंसा लिया।

कैसे हुआ फ्रॉड?

फर्जी कॉल सेंटर्स के कर्मचारी खुद को अमेरिकी अथॉरिटी या तकनीकी सपोर्ट टीम का प्रतिनिधि बताकर पीड़ितों को कॉल करते थे। उन्हें यह विश्वास दिलाया जाता था कि उनके बैंक अकाउंट या कंप्यूटर में समस्या है, जिसे हल करने के लिए तुरंत भुगतान करना होगा।

क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन का इस्तेमाल

फ्रॉड के तहत ठगों ने बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल किया। भुगतान को ट्रैक करना मुश्किल होने के कारण साइबर अपराधियों ने इसे प्राथमिकता दी।

CBI की बड़ी कार्रवाई

CBI ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। जांच में यह भी सामने आया कि इन फर्जी कॉल सेंटर्स ने अपनी धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया।

फर्जी कॉल सेंटर्स की रणनीति

  • प्रारंभिक कॉल: पहले पीड़ितों को डराने के लिए कॉल की जाती थी।
  • तकनीकी सहायता का झांसा: उन्हें तकनीकी सहायता के नाम पर बड़े भुगतान के लिए मजबूर किया जाता था।
  • भुगतान का तरीका: ठगों ने क्रिप्टोकरेंसी, गिफ्ट कार्ड और अन्य डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल किया।

पीड़ितों पर प्रभाव

इस धोखाधड़ी के कारण अमेरिका और कनाडा के कई नागरिकों ने अपनी जीवनभर की बचत गंवा दी। इसमें से अधिकांश पीड़ित बुजुर्ग थे, जो तकनीकी ज्ञान की कमी के चलते ठगों के जाल में फंस गए।

साइबर सुरक्षा पर जोर

इस मामले ने साइबर सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार और एजेंसियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

CBI की चेतावनी

CBI ने जनता को सतर्क रहने की सलाह दी है। कॉल सेंटर या अनजान नंबर से आने वाली कॉल्स पर तुरंत विश्वास न करें और किसी भी प्रकार के वित्तीय लेन-देन में सतर्कता बरतें।


क्या है आगे की योजना?

CBI और अन्य एजेंसियां अब इन फर्जी कॉल सेंटर्स के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को तोड़ने में लगी हैं। इस मामले में अन्य दोषियों को पकड़ने और ठगी के शिकार लोगों की धनराशि वापस दिलाने के प्रयास जारी हैं।


निष्कर्ष

दिल्ली और नोएडा से संचालित इन फर्जी कॉल सेंटर्स ने न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि साइबर अपराध की गंभीरता को भी उजागर किया है। इस मामले ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।