Dev Deepawali 2024: धरती पर उतरेंगे भगवान, 2 घंटे 37 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त
देव दीपावली, जिसे देवताओं की दीपावली कहा जाता है, इस वर्ष 15 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर माना जाता है कि देवता स्वर्गलोक से धरती पर उतरकर अपने भक्तों का आशीर्वाद देने आते हैं। विशेषकर वाराणसी में गंगा के घाटों पर होने वाले भव्य दीपोत्सव का दृश्य देखने लायक होता है।
क्या है देव दीपावली का महत्व?
- पौराणिक मान्यता: कार्तिक पूर्णिमा की रात को देवता स्वर्ग से उतरकर काशी के गंगा घाट पर दीपों की रोशनी का आनंद लेते हैं। यह पर्व त्रिपुरासुर के वध के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जब भगवान शिव ने इस राक्षस का संहार किया था।
- आध्यात्मिक महत्व: इसे मोक्ष प्राप्ति और पापों से मुक्ति का दिन माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान, दान और दीप जलाने का विशेष महत्व है।
पूजा का शुभ मुहूर्त (2024)
- शुभ समय:
- पूजा का समय: शाम 5:23 बजे से रात 8:00 बजे तक
- कुल अवधि: 2 घंटे 37 मिनट
- इस समय के दौरान दीप प्रज्वलित करना और भगवान शिव, विष्णु और मां गंगा की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
देव दीपावली की खास परंपराएं
- दीपदान: गंगा के घाटों पर लाखों दीये जलाए जाते हैं, जो पूरी रात रोशनी बिखेरते हैं।
- गंगा आरती: वाराणसी में गंगा आरती का भव्य आयोजन होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
- पवित्र स्नान: कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करना विशेष पुण्यदायी माना जाता है।
- दान-पुण्य: इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना, अन्न-दान, और दीपदान का महत्व बताया गया है।
वाराणसी में विशेष आयोजन
देव दीपावली पर वाराणसी के गंगा घाट अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
- घाटों पर दीपों की माला: 84 घाटों पर लाखों दीये जलाए जाते हैं, जिससे घाटों की सुंदरता अद्वितीय हो जाती है।
- भव्य झांकियां: भगवान शिव और विष्णु से जुड़ी कथाओं पर आधारित झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं।
- नौका विहार: गंगा में नौकायन के दौरान घाटों की रोशनी देखने का अलग ही आनंद होता है।
क्या करें इस देव दीपावली पर?
- दीप जलाएं: घर, मंदिर और गंगा किनारे दीये जलाएं।
- शिव और गंगा की पूजा करें: भगवान शिव, भगवान विष्णु और मां गंगा को पुष्प, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- गंगा स्नान करें: यदि संभव हो, तो गंगा स्नान करें और पुण्य लाभ प्राप्त करें।
- दान-पुण्य करें: गरीबों को अन्न और वस्त्र का दान करें।