बिहार के अरवल में शिक्षक ने की बच्चे की पिटाई
बिहार के अरवल जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां होमवर्क न करने पर एक शिक्षक ने 12 वर्षीय छात्र को बेरहमी से पीटा। इस पिटाई के कारण बच्चे की आंख में गंभीर चोट लग गई। घटना जिले के उमराबाद इलाके के एक निजी स्कूल की है, और इस मामले में शिक्षक और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है।
क्या हुआ था घटना के दिन?
पीड़ित बच्चा, अमित राज, 5वीं कक्षा का छात्र है। उसने बताया कि 13 नवंबर को, होमवर्क न करने पर उसके शिक्षक ने उसे डंडे से पीटना शुरू कर दिया। इस मारपीट से उसकी बाईं आंख में गंभीर चोट लग गई। घटना के बाद अमित को तुरंत पटना के एक अस्पताल में रेफर किया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों ने पुष्टि की है कि उसकी आंख की चोट गंभीर है और विशेष देखभाल की जरूरत है।
पीड़ित का बयान
अमित ने कहा, “टीचर ने मुझे डंडे से मारा, जिससे मेरी आंख में चोट लगी। मैंने तुरंत अपने माता-पिता को इसकी जानकारी दी, और उन्होंने मुझे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया।”
परिवार की शिकायत और पुलिस की कार्रवाई
अमित के परिवार ने शिक्षक और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। अरवल के एसपी, राजेंद्र कुमार भील ने कहा, “हमने शिक्षक और स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मामले की जांच चल रही है, और स्कूल प्रशासन और चश्मदीदों से पूछताछ की जा रही है। दोषी को कानून के तहत कड़ी सजा दी जाएगी।”
शिक्षकों की जिम्मेदारी पर सवाल
यह घटना शिक्षकों की जिम्मेदारी और बच्चों के साथ उनके व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े करती है। बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अनुशासन सिखाने की जिम्मेदारी शिक्षकों की होती है, लेकिन इस तरह की घटनाएं उनके भरोसे को तोड़ती हैं।
ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए क्या करें?
- कानूनी जागरूकता: बच्चों और अभिभावकों को स्कूलों में हिंसा और दुर्व्यवहार के खिलाफ अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए।
- स्कूल प्रशासन की जवाबदेही: ऐसे मामलों में स्कूल प्रबंधन की भूमिका की जांच जरूरी है।
- सख्त कानून: शिक्षकों के ऐसे आचरण पर रोक लगाने के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए।
- मनोवैज्ञानिक परामर्श: शिक्षकों और छात्रों के बीच स्वस्थ संवाद और बेहतर समझ के लिए परामर्श सत्र अनिवार्य किए जाने चाहिए।
निष्कर्ष
यह घटना न केवल दर्दनाक है, बल्कि यह समाज और शिक्षा प्रणाली के लिए एक चेतावनी भी है। बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना और शिक्षकों के आचरण की निगरानी करना समय की आवश्यकता है।