कनाडा की विदेश मंत्री का बड़ा बयान: ‘सभी भारतीय राजनयिक नोटिस पर हैं’, रूस से की भारत की तुलना

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कनाडा और भारत के बीच हाल के दिनों में बढ़ते तनाव के बीच कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली का एक बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि कनाडा में तैनात सभी भारतीय राजनयिक ‘नोटिस’ पर हैं। इस बयान से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में और खटास आने की आशंका बढ़ गई है। साथ ही, उन्होंने रूस से भारत की तुलना कर इस मामले को और अधिक गंभीर बना दिया है।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सार्वजनिक रूप से यह आरोप लगाया कि भारत की एजेंसियां कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संलिप्त हो सकती हैं। इस आरोप के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्तों में तल्खी आ गई। भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया और इसे आधारहीन बताया।

इसके बाद भारत और कनाडा दोनों ने एक-दूसरे के कई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। अब मेलानी जोली के हालिया बयान ने इस विवाद को और भड़का दिया है।

मेलानी जोली ने अपने बयान में रूस और भारत के संबंधों की तुलना करते हुए कहा कि जिस तरह कनाडा ने रूस के साथ अपने संबंधों को संभाला था, उसी तरह वह अब भारत के साथ भी कर सकता है। उन्होंने कहा, “हमारे पास यह अनुभव है कि कैसे राजनयिक तरीके से चीजों को संभालना है। हमने रूस के साथ भी यह किया है, और अब हम भारत के साथ भी इसी तरह के कदम उठा रहे हैं।”

इस बयान ने न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी इसे एक गंभीर मुद्दे के रूप में पेश किया है। कनाडा का यह रुख भारत को लेकर उसके कड़े तेवर को दर्शाता है।

भारत ने कनाडा के इन आरोपों और बयानों को निराधार और अस्वीकार्य करार दिया है। भारत का कहना है कि कनाडा में खालिस्तान समर्थकों को बढ़ावा मिल रहा है और यह कनाडा की सुरक्षा के लिए भी खतरनाक है। भारत ने जोर देकर कहा है कि वह अपने राजनयिकों की सुरक्षा और सम्मान के लिए हर संभव कदम उठाएगा।

कनाडा और भारत के बीच यह विवाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चाओं का विषय बन चुका है। खासकर रूस से भारत की तुलना करने पर कई देशों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या दोनों देश इस राजनयिक तनाव को कम करने के लिए कोई रास्ता निकाल पाते हैं या फिर यह विवाद और बढ़ेगा। कनाडा द्वारा उठाए गए इस कदम से न केवल दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो सकते हैं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।