कतर ने हमास के नेताओं को देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया है, जिससे क्षेत्रीय राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। कतर ने आतंकवादी संगठन हमास के वरिष्ठ नेताओं को यह चेतावनी दी है कि वे तुरंत देश से बाहर निकल जाएं। यह कदम कतर और हमास के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है, खासकर उस समय जब मध्य-पूर्व में संघर्ष और कूटनीतिक तनाव चरम पर है।
क्या है पूरा मामला?
कतर ने हाल ही में हमास के नेताओं को एक आखिरी चेतावनी दी है कि वे देश से तुरंत निकल जाएं। यह फैसला उस समय लिया गया जब कतर की विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय दबावों के कारण स्थिति जटिल होती जा रही थी। कतर, जो एक प्रमुख मध्य-पूर्वी देश है और पश्चिमी देशों के साथ अच्छे कूटनीतिक संबंध बनाए रखता है, अब अपने रुख में बदलाव कर रहा है। कतर की सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह हमास के साथ कोई भी संबद्धता बनाए रखने के पक्ष में नहीं है, और उन्होंने संगठन के नेताओं को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि वे देश छोड़ दें।
कतर का दबाव
कतर की यह चेतावनी दुनिया भर में एक चौंकाने वाली घटनाक्रम के रूप में सामने आई है, क्योंकि कतर ने हमास के नेताओं को लंबे समय से शरण दी थी। यह भी माना जाता है कि कतर में हमास के कई प्रमुख नेताओं के कार्यालय और ठिकाने हैं, जिनमें खलील अल-हया, मिशल अल-मसी जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। अब कतर ने इन नेताओं को साफ संदेश दिया है कि वे किसी भी हालत में देश में नहीं रह सकते।
हमास के नेता अब कहां जाएंगे?
कतर से बाहर जाने के बाद हमास के नेता किस देश में शरण लेंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वे तुर्की, ईरान या सीरिया जैसे देशों में शरण ले सकते हैं, जो हमास के सहयोगी माने जाते हैं। ये देश पहले भी हमास के नेताओं को समर्थन दे चुके हैं और यहां के वातावरण में वे ज्यादा सुरक्षित महसूस कर सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
कतर के इस फैसले ने मध्य-पूर्व की कूटनीति में हलचल मचाई है। पश्चिमी देशों ने कतर के इस कदम को सराहा है, क्योंकि हमास को एक आतंकवादी संगठन माना जाता है, और इस तरह के फैसले से कतर की वैश्विक छवि पर सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, कुछ आलोचक यह मानते हैं कि कतर का यह कदम हमास के आतंकवादी गतिविधियों में शामिल नेताओं के लिए आसान रास्ता नहीं होगा और उन्हें कहीं और दबाव का सामना करना पड़ सकता है।