भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने हाल ही में रामायण का हवाला देते हुए “रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाए” की सीख को भारतीय राजनीति और समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण बताया। बीजेपी ने इसे अपनी राजनीतिक विचारधारा और सिद्धांतों के साथ जोड़ा, लेकिन विपक्ष ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं। विपक्ष का कहना है कि बीजेपी ने रामायण की इस मूल सीख को नजरअंदाज किया है और सत्ता में रहते हुए कई बार अपने वादे तोड़े हैं।
बीजेपी का संदेश:
बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने रामायण की सीख को अपनी पार्टी के नैतिक मूल्यों से जोड़ते हुए कहा कि वचन और आदर्शों की पवित्रता भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “हमारी राजनीति रघुकुल की रीत पर आधारित है, जहां वचन सबसे महत्वपूर्ण होता है। रामायण हमें यह सिखाती है कि वचन निभाने के लिए प्राण भी चले जाएं तो कोई फर्क नहीं पड़ता, और हम इसी सिद्धांत पर चलते हैं।”
विपक्ष का पलटवार:
विपक्षी दलों ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि “वचन निभाने” की बात करना और उसे अमल में लाना दो अलग-अलग चीजें हैं। विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी ने अपनी सरकार के दौरान कई बड़े वादे किए, लेकिन उन्हें पूरा करने में विफल रही। एक प्रमुख विपक्षी नेता ने कहा, “बीजेपी रामायण का हवाला दे रही है, लेकिन उसने अपने चुनावी वादे और जनता से किए गए वादे कई बार तोड़े हैं। चाहे वह किसानों की कर्जमाफी हो, बेरोजगारी का हल हो या महंगाई कम करने का वादा—बीजेपी ने जनता को सिर्फ वादों का झांसा दिया है।”
चुनावी वादों पर बहस:
विपक्ष के आरोपों के मुताबिक, बीजेपी ने 2014 और 2019 के चुनावों में बड़े-बड़े वादे किए थे, जैसे कि हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा, किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा, और महंगाई पर काबू पाने का दावा। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि इन वादों में से कई पूरे नहीं हुए हैं, और जनता इनसे निराश है। “रघुकुल की रीत” की तुलना करते हुए विपक्ष का कहना है कि बीजेपी का वादा निभाने का रिकॉर्ड रामायण के सिद्धांतों के विपरीत है।
बीजेपी की सफाई:
इन आरोपों के जवाब में बीजेपी ने कहा कि उसने अपने ज्यादातर वादे पूरे किए हैं और बाकी पर काम चल रहा है। पार्टी के अनुसार, देश में विकास, आधारभूत ढांचे, गरीबों के लिए योजनाओं और आर्थिक सुधारों पर बड़े पैमाने पर काम हुआ है। बीजेपी ने यह भी कहा कि विपक्ष की आलोचना बेबुनियाद है और चुनावी राजनीति के चलते इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं।