पाकिस्तान और रूस के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और सामरिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की गई। इस मुलाकात को लेकर भारत में चिंता बढ़ गई है, क्योंकि यह क्षेत्रीय सुरक्षा और शक्ति संतुलन पर प्रभाव डाल सकती है।
मुलाकात का प्रमुख बिंदु
पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु के बीच हुई इस मुलाकात में, दोनों देशों ने आपसी सैन्य सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई। उन्होंने आतंकवाद, उग्रवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया। यह बैठक इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान और रूस के बीच के सैन्य संबंध अब पहले से और अधिक मजबूत हो रहे हैं।
भारत के लिए क्यों है यह चिंता की बात?
- सैन्य सहयोग का विस्तार: पाकिस्तान का रूस के साथ बढ़ता सैन्य सहयोग भारत के लिए चिंता का विषय है, खासकर जब दोनों देशों के बीच हथियारों और सैन्य तकनीक का आदान-प्रदान बढ़ सकता है। भारत, जो रूस का परंपरागत साथी रहा है, अब पाकिस्तान के साथ रूस के बढ़ते रिश्तों से चिंतित है।
- क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव: पाकिस्तान और रूस के बीच के मजबूत संबंधों से क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति में बदलाव आ सकता है। यह भारत के लिए रणनीतिक रूप से कठिनाइयों का सामना कर सकता है, खासकर यदि पाकिस्तान को उन्नत सैन्य उपकरण और तकनीक मिलती है।
- चीन-रूस-पाकिस्तान धुरी: इस मुलाकात को उस समय किया गया है जब चीन, रूस और पाकिस्तान के बीच बढ़ते संबंधों की चर्चा हो रही है। यदि यह धुरी मजबूत होती है, तो यह भारत के लिए एक नई सुरक्षा चुनौती पैदा कर सकती है।
संभावित प्रभाव
भारत के लिए इस मुलाकात के प्रभाव दूरगामी हो सकते हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान-रूस की बढ़ती नजदीकियों से भारत को अपनी सुरक्षा रणनीतियों में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है। इससे भारत को अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने और सहयोगियों के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में सोचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।