भारतीय पौराणिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन से भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे। इस दिन को ‘धन्वंतरी जयंती’ के रूप में मनाया जाता है, जो आयुर्वेद, चिकित्सा और स्वास्थ्य का प्रतीक माने जाते हैं।
समुद्र मंथन की कथा
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन का आयोजन किया गया था। इस मंथन के दौरान कई बहुमूल्य रत्नों और औषधियों के साथ भगवान धनवंतरी अमृत से भरा हुआ कलश लिए प्रकट हुए। उनके प्रकट होने के साथ ही चिकित्सा विज्ञान की शुरुआत हुई, जिससे मानवता को स्वास्थ्य और दीर्घकालिक जीवन का मार्ग मिला।
भगवान धनवंतरी की महिमा
भगवान धनवंतरी को आयुर्वेद का पिता माना जाता है। उन्हें औषधियों, चिकित्सा और स्वास्थ्य की ज्ञान का देवता माना जाता है। उनकी पूजा से व्यक्ति को स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- पूजा विधि: इस दिन भक्तजन भगवान धनवंतरी की पूजा करके उनसे स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मांगते हैं। खासकर चिकित्सकों और स्वास्थ्यसेवियों द्वारा इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
स्वास्थ्य और चिकित्सा का महत्व
इस दिन के माध्यम से समाज में स्वास्थ्य और चिकित्सा के महत्व को भी उजागर किया जाता है। भगवान धनवंतरी का स्मरण कर लोग आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की ओर भी अग्रसर होते हैं, जो प्राकृतिक औषधियों पर आधारित है।