दिल्ली के बजट को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के बीच राजनीतिक घमासान छिड़ गया है। भाजपा ने आप सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की नीतियों की वजह से 31 साल में पहली बार दिल्ली का बजट घाटे में पहुंच गया है। इस आरोप के बाद दोनों दलों के बीच सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
भाजपा का आरोप: “दिल्ली को घाटे में ले गई आप सरकार”
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने दावा किया है कि आप सरकार की वित्तीय नीतियों ने दिल्ली को आर्थिक संकट की ओर धकेल दिया है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “अरविंद केजरीवाल सरकार की गलत प्राथमिकताओं और अनियोजित खर्चों के कारण 31 वर्षों में पहली बार राजधानी का बजट घाटे में चला गया है। उन्होंने लोकलुभावन योजनाओं पर खर्च बढ़ाया है, जबकि राजस्व में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाई।”
भाजपा का आरोप है कि मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी योजनाओं ने सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ डाला है। भाजपा नेताओं का कहना है कि ये योजनाएं केवल वोट बैंक को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं, जबकि इनके दीर्घकालिक आर्थिक प्रभावों पर विचार नहीं किया गया।
आप सरकार का पलटवार: “दिल्ली का विकास सर्वोपरि”
आप सरकार ने भाजपा के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे “निराधार और राजनीति से प्रेरित” बताया है। दिल्ली के वित्त मंत्री ने कहा, “हमारी सरकार ने दिल्ली के विकास और जनता की भलाई के लिए योजनाओं पर खर्च किया है। हमने स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में ऐतिहासिक काम किए हैं, जिससे लोगों का जीवन बेहतर हुआ है। भाजपा के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, इसलिए वे गलत आरोप लगा रहे हैं।”
आम आदमी पार्टी ने यह भी कहा कि बजट घाटे का दावा सिर्फ एक राजनीतिक हथकंडा है, और वास्तविक आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। आप सरकार ने जोर देकर कहा कि उन्होंने वित्तीय अनुशासन का पालन करते हुए ही जनता के हित में योजनाओं को लागू किया है।
दिल्ली की वित्तीय स्थिति पर चर्चा
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली की वित्तीय स्थिति पर राजनीति से परे एक व्यापक समीक्षा की आवश्यकता है। जहां एक तरफ आप सरकार ने अपने लोकलुभावन योजनाओं के माध्यम से जनता को राहत दी है, वहीं दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि ये योजनाएं लंबे समय तक टिकाऊ नहीं हैं और इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ रहा है।
आगामी चुनावों के मद्देनजर बढ़ा तनाव
भाजपा और आप के बीच इस आरोप-प्रत्यारोप का दौर आगामी चुनावों के मद्देनजर और तेज होने की संभावना है। जहां भाजपा इस मुद्दे को जनता के बीच उठाकर आप सरकार की नीतियों को निशाना बना रही है, वहीं आप सरकार अपने कामों और योजनाओं का हवाला देकर जनता का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है।